दोस्ती के रंग
--कहानी--देवेंद्र कुमार
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नरेश कहीं जाने के लिए सोसाइटी के गेट से बाहर
निकला तो ठिठक गया। फुटपाथ पर एक ड्राइंग बुक पड़ी थी। नरेश ने झुक कर ड्राइंग बुक को उठा लिया और उलट पलट कर देखने लगा। उस पर किसी
कमल का नाम लिखा था। नरेश ने गेटमैन जीवन से कहा-'लगता है यह ड्राइंग बुक किसी बच्चे के बस्ते से गिर गई है ।
वह खोजता हुआ आए तो दे देना।’
कई दिन बीत गए पर कोई कमल अपनी ड्राइंग बुक लेने नहीं आया, तब जीवन ने नरेश को बता दिया। नरेश ने कहा-' तुम रख लो इसे, अपने बेटे को दे
देना।’ इस पर जीवन ने बताया कि उसका कोई बच्चा नहीं है। नरेश ड्राइंग बुक को अपने घर ले आया। ड्राइंग
बुक उसकी मेज़ पर कई दिन तक पड़ी रही। वह सोच रहा था कि आखिर कमल कौन है ! ऐसा कौन लापरवाह बच्चा है, जिसे अपनी खोई हुए ड्राइंग बुक का एक बार भी ख्याल नहीं
आया!
कुछ दिन बाद की बात है-सर्दियों की गुनगुनी धूप का आनंद
लेने के लिए नरेश सोसाइटी के
पार्क में चला गया। वहाँ रामधन माली पौधों की देख भाल में लगा हुआ था।फूलों की
मीठी सुगंध हवा में तैर रही थी। वही बैठा एक लड़का कागज़ पर रेखाएं खींच रहा था।
नरेश पास जाकर देखने लगा। वह था रामधन का बेटा विमल।
नरेश ने कहा-'फूल तो कई रंग के होते हैं पर विमल ने सारे फूल नीले रंग के
बना दिए हैं। ऐसा क्यों!’ सुन कर रामधन न नरेश की ओर देखा और मुस्करा दिया। विमल अपने नीले इंक के बाल
पेन से ही फूलों का चित्र बना रहा था। इसका मतलब समझने में नरेश को देर
नहीं लगी। उसने कुछ सोचा और घर जाकर कमल की ड्राइंग बुक
ले आया और विमल को थमा दी। साथ में रंगीन पेन्सिलों का बॉक्स भी था। फिर कहा -' बेटा ,फूल जिस रंग के
हैं तुम भी वैसे ही रंग के फूल बनाओ ,तब ज्यादा अच्छे लगेंगे।' विमल अपने बनाये
फूलों में रंग भरने लगा।
रामधन ने मुस्करा कर नरेश की और देखा। जैसे कह रहा हो-
बाबूजी, आपने तो झट नीले फूलों का रहस्य समझ लिया। धन्यवाद। विमल के पास
रंगीन पेन्सिलें या कलर बॉक्स नहीं था इसी लिए उसके बनाये फूल नीले रंग के थे।
1
नरेश संतुष्ट भाव से घर चला आया। अनजान कमल का
तो पता नहीं चला था ,पर उसकी ड्राइंग
बुक जरूर सही जगह पहुँच गई थी। पर शायद नहीं, उसी शाम रामधन नरेश के पास आया और ड्राइंग बुक
उसे लौटते हुए कहा-' बाबूजी, यह कमल कौन है? ड्राइंग की यह कॉपी उसे लौटा दीजिये।’ नरेश ने देखा
ड्राइंग बुक के एक पेज पर विमल ने फूलों
का सुंदर चित्र बनाया था। बोला, ‘रामधन, देखो तो विमल ने कितना अच्छा चित्र बनाया है। '
रामधन ने कहा - लेकिन यह कमल।'
तब नरेश ने उसे पूरी बात बता दी। ' अगर कमल कभी आ गया अपनी ड्राइंग की कॉपी लेने तो
इस ड्राइंग बुक के साथ हमारे विमल की दोस्ती भी मिल जायेगी उसे ।' कह कर नरेश मुस्करा दिया। उसका रामधन के बेटे को 'हमारा विमल' कहना रामधन को अच्छा लगा था .
ड्राइंग बुक वाले कमल को कहाँ ढूंढा जाये, यह बात नरेश के लिए
उलझन बनी हुई थी। क्योंकि नरेश जब भी
रामधन से मिलता,वह एक ही बात कहता-'मेरा बेटा हर समय कमल के बारे में ही पूछता है। अदृश्य कमल उनके बीच एक विचित्र समस्या की तरह आ
खड़ा हुआ था। और फिर एक दिन कमल मिल ही गया,लेकिन वह ड्राइंग बुक वाला कमल नहीं ,कोई और ही था। उससे जीवन
चौकीदार ने मिलवाया था नरेश को।
एक दिन नरेश बाज़ार से लौटा तो जीवन ने कहा-'बाबूजी,आप अक्सर कमल के
बारे में पूछते रहते हैं न ,क्या आप उससे मिलेंगे!'
'जरूर मिलना चाहूंगा कमल से। '-नरेश ने कहा। ,क्या वह अपनी
ड्राइंग बुक लेने आया है!'
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'जी वह तो नहीं आया लेकिन इसका नाम भी कमल है।'-कहते हुए जीवन ने
सड़क पर एक कार के शीशे साफ़ करते हुए लड़के की ओर संकेत किया, उसे आवाज़ दी तो वह झट आ गया।
नरेश
ने देखा – नौ --दस वर्ष का लड़का मैले कपड़ों में लेकिन
उजली हंसी बिखेरता हुआ सामने खड़ा था। नरेश ने कहा-'तो तुम कमल हो,कहाँ रहते हो?'
लड़के ने उत्तर नहीं दिया और वहां से चला गया।
उत्तर जीवन ने दिया -बाबू,सड़क पर काम करके जीने वाले ये बच्चे सड़क पर ही रहते हैं।'आपके प्रश्न का वह क्या उत्तर देता भला,इसीलिए चला गया। ‘
नरेश समझ गया कि
उसने कमल से गलत सवाल पूछ लिया था,लेकिन अब क्या हो सकता था। जीवन ने आगे बताया-'कमल और जय की जोड़ी है। दोनों हर समय साथ दिखाई देते हैं।
कुछ दिन पहले की बात है,क मल और जय के सामने चुन्नू ढाबे वाले को झुकना
पड़ा था।'
‘ ऐसा क्या हो गया था।‘ नरेश ने जानना चाहा।
जीवन के बताया-चुन्नू ढाबे का नौकर जीतू बीमार हो गया। वह बर्तन धोने और ढाबे की साफ़
सफाई का काम करता था| तब चुन्नू ने कमल को बुलाया। कहा-- वह कमल और जय को दोनों टाइम का भोजन और रात
में सोने की जगह देगा। दोनों तैयार हो गए।लेकिन चुन्नू अब जीतू से
छुटकारा चाहता था। उसने सोचा कि जीतू को पगार देनी पड़ती है,जबकि कमल और जय को पैसे नहीं देने थे।
‘बस उसने जीतू से कह दिया कि कहीं और काम देख ले।
ढाबे में उसकी कोई जरूरत नहीं है।‘
'फिर ?'-नरेश ने पूछा।
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'ढाबे से निकल कर जीतू मेरे पास आ गया। उसे तब भी बुखार था। तब
मैंने दोस्तों के साथ मिल कर जीतू को अस्पताल में दाखिल करा दिया। '
'बड़ा लालची है
चुन्नू!'-नरेश बोला।
'लेकिन कमल और जय ने सुना तो काम बंद कर दिया। चुन्नू की इस
हरकत से ढाबे के सारे नौकर भी नाराज हो कर चले गए। तब चुन्नू को लगा कि उसने कितनी
बड़ी भूल कर दी है। दो दिन ढाबा बंद रहा। तब चुन्नू जीतू से मिलने अस्पताल गया
और वादा किया कि उसकी नौकरी बनी रहेगी। अब
जीतू फिर से ढाबे में लौट आया है। कमल और जय के साथ दूसरे नौकर भी वापस आ गए हैं। '
'ऐसे हिम्मती और लड़ाकू छोकरों से जरूर मिलना
चाहिए।' नरेश ने कहा फिर
रामधन को उनके बारे में बताया। रामधन ने कहा-वाह बाबू , ऐसे लड़कों से तो हमारे विमल को भी मिलना चाहिए।'
दोपहर में ढाबा दो घंटे के लिए बंद रहता था| एक दोपहर नरेश विमल और रामधन के साथ चुन्नू के
ढाबे पर जा पहुंचा, बाद में जीवन भी आ गया।जीवन ने कमल से कहा-'हमारा विमल तुम से दोस्ती करने आया है।’
नरेश ने ड्राइंग बुक कमल को दिखाई और कहा-'पता नहीं इस ड्राइंग बुक वाला कमल कभी मिलेगा भी या नहीं. पर तुम और जय जरूर हमें मिल गए हो। क्या तुम
तीनों दोस्ती करोगे।‘ कुछ देर बाद विमल ,कमल और जय घुल
मिलकर बातें करते दिखाई दिए|
नरेश ने ड्राइंग बुक पर कमल के साथ विमल और जय के
नाम भी लिख दिए।तब कमल ने कहा-'मुझे तो ड्राइंग आती नहीं। '
'जैसे तुम दोनों ने सड़क पर जीना सीख लिया है उसी तरह ड्राइंग भी जरूर सीख लोगे।
' कह कर रामधन मुस्करा दिया।
कमल ने एक पन्ने पर रंगीन रेखाएं खींचनी शुरू कर दीं। जय और
विमल उत्सुक आँखों से देख रहे थे।दोस्ती के अनोखे रंग उभर रहे थे (समाप्त )
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