Monday 31 July 2023

तनुजा के भगवान=देवेंद्र कुमार

 

तनुजा के भगवान=देवेंद्र कुमार    

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तनुजा ने देखा दादी पूजा कर रही थीं। उसने माँ से आइसक्रीम के लिए पैसे माँगे थे, पर उन्होंने कहा, “हर समय आइसक्रीम! नहीं आज नहीं, कल पापा से कहना। वह दिलवा देंगे।

तनुजा को बुरा लगा, पर चुपचाप दादी के पास गई। जब मम्मी-पापा किसी चीज के लिए इंकार कर देते हैं तो वह दादी के पास आती है और दादी उसकी हर फरमाइश तुरंत पूरी कर देती हैं।

तनुजा दादी की पूजा समाप्त होने के इंतजार में एक तरफ खड़ी रही। उसे पूरी उम्मीद थी कि दादी उसकी फरमाइश जरूर पूरी कर देंगी।

उसने देखा दादी पूजा समाप्त करके उठने लगीं तो लड़खड़ा गईं। वह कराह रही थीं। तनुजा को पता है दादी के घुटनों में दर्द रहता है। वह आइसक्रीम की बात भूल गई। बढ़कर दादी को सहारा दिया, बोली, “दादी, क्या आज आपके घुटनों में ज्यादा दर्द है?”

दादी दर्द में भी मुस्करा दीं। उन्होंने तनुजा के बाल सहला दिए। बोलीं, “दर्द तो रहता ही है। भगवान की जैसी मरजी!”

तनुजा ने कहा, “दादी, आप भगवान की इतनी पूजा करती हैं तो क्या भगवान आपकी बात नहीं मानते।

कैसी बात!” दादी ने पूछा।

अपने घुटनों के दर्द के बारे में भगवान से क्यों नहीं कहतीं! तुम कहती हो भगवान सबकी सब इच्छाएँ पूरी करते हैं।

हाँ, करते तो हैं।

तो भगवान से कहो आपके घुटनों  का दर्द ठीक कर दें।तनुजा बोली।

भगवान से हर समय अपने कुछ कुछ माँगना क्या अच्छा लगेगा। भगवान भी मुझे लालची समझेंगे।दादी हँसकर बोलीं।

तनुजा ने कहा, “दादी, आप ठीक कह रही हैं। देखों मैंने आज तक भगवान से कुछ नहीं माँगा। जो चीज चाहिए मम्मी-पापा या आप दिला देते हैं। माँगना नहीं पड़ता।

दादी समझ गईं। उन्होंने कहा, “मेरी बिटिया आइसक्रीम खाएगी?”

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तनुजा चुप रही। दादी तो तुरंत उसके मन की बात समझ गई थीं। वह सिर नीचा करके मुस्कराने लगी। दादी ने झट उसे पैसे देते हुए कहा, “जाओ, आइसक्रीम ले लो।

आज आइसक्रीम नहीं खानी, मुझे भगवान से आपके बारे में बात करनी है। मैं भगवान से कहूँगी कि वह आपके घुटनों  का दर्द ठीक कर दें।कहते हुए तनुजा भगवान की प्रतिमा के सामने हाथ जोड़कर बैठ गई और आँखें बंद कर लीं।

दादी दिलचस्पी भरी नजरों से तनुजा को देख रही थीं। उनके मन में उस नन्ही बच्ची के लिए प्यार उमड़ रहा था। तनुजा दादी के घुटनों  के दर्द को लेकर बहुत परेशान थी। कुछ देर तक तनुजा होंठों ही होंठों में कुछ बुदबुदाती रही फिर उठी और दादी की ओर देखकर हँस पड़ी।

तनु, तुमने भगवान से क्या कहा?” दादी ने पूछा।

मैंने कहा, भगवान मेरी दादी के घुटनों  का दर्द जल्दी ठीक कर दो।

फिर भगवान ने तुमसे क्या कहा?” दादी ने पूछा।

दादी, भगवान की आवाज तो मैंने नहीं सुनी। पर मेरी प्रार्थना भगवान ने जरूर सुनी होगी, इसका मुझे पक्का विश्वास है।तनुजा ने कहा, “अब देखना तुम्हारे घुटनों  का दर्द जल्दी ही छूमंतर हो जाएगा।कहकर वह हँस दी।

उस रात सोने से पहले तनुजा ने दादी से कई बार पूछा, “दादी, आपके घुटनों का दर्द कैसा है? कुछ कम तो जरूर कर दिया होगा भगवान ने।

दादी ने कहा, “तनु, तेरी प्रार्थना बेकार नहीं जाएगी। दर्द में कुछ आराम है।

अच्छा तो इसका मतलब भगवान ने मेरी बात मान ली।कहकर तनुजा मुस्कराने लगी।

हाँ, बेटी, भगवान तो सबकी बात मानते हैं, फिर तुम्हारी बात भला कैसे मानते। अब आराम से सो जाओ।दादी ने कहा।

तनुजा सोई लेकिन दादी से कहानी सुनने के बाद। यह रोज का नियम था। जब भी उसकी मम्मी तनुजा से सो जाने के लिए कहतीं तो वह दादी को पुकारने लगती, “दादी, जल्दी आकर मुझे कहानी सुना दो। मम्मी सोने के लिए कह रही हैं।दादी उसका सिर अपनी गोद में रखकर उसे कहानी सुनाने लगतीं और थोड़ी देर बाद ही तनु नींद की गोद में चली जाती।

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अगली सुबह नींद खुलते ही तनुजा सबसे पहले दादी के पास गई। वह स्नान करके पूजा कर रही थीं। तनुजा दादी की पूजा समाप्त होने का इंतजार कर सकी। उसने पुकारा, “दादी, जल्दी बताओ, तुम्हारे घुटनों  का दर्द कैसा है? क्या आज भी कल जितना है? तब तो मुझे भगवान से दोबारा दर्द ठीक करने के लिए कहना होगा।

दादी ने मुड़कर तनुजा की ओर देखा और हँस पड़ीं। उन्होंने कहा, “तनु बिटिया, दर्द तो अब भी हो रहा है।

तो क्या भगवान ने मेरी बात नहीं मानी।कहते-कहते तनुजा उदास हो गई।

नहीं बिटिया, तुम्हारी बात भगवान ने सुन ली पर एक समस्या है।

कैसी समस्या दादी?”

तनु, भगवान कल रात मुझे सपने में दिखाई दिए थे।दादी बोलीं।

क्या कहा भगवान ने!” तनुजा ने उत्सुक स्वर में पूछा।

उन्होंने कहा- देखो तुम तनुजा की प्यारी दादी हो। मुझे तनु की बात माननी पड़ेगी लेकिन एक मुश्किल है।

तनुजा ध्यान से दादी की बात सुन रही थी। दादी ने कहा, “भगवान ने पूछा- मैं तुम्हारे घुटनों का दर्द तो ठीक कर दूँगा, पर तुम्हारे दर्द को मैं अपने पास तो रख नहीं सकता। तुम्हारा दर्द किसी और को देना होगा। बताओ किसे दूँ।

दादी, आप कह देतीं कि भगवान आपका दर्द किसी को भी दे दें।तनुजा बोली।

तनुजा, अच्छा तुम्ही बताओ, भगवान मेरे घुटनों का दर्द किसे दें?” दादी ने पूछा। वह गौर से तनुजा का चेहरा परख रही थीं।

तनुजा सोच में पड़ गई। फिर बोली, “अरे दादी, आपके घुटनों का दर्द ठीक होना चाहिए। दुनिया में इतने सारे लोग हैं। आपका दर्द भगवान किसी को भी दे सकते हैं।

किसे? उसका नाम बताओ?”

तनुजा किसी का नाम ले पाई, वह उलझन में पड़ गई थी।

तभी दादी ने कहा, “बेटी, दर्द या बीमारी कोई मिठाई नहीं जो भगवान किसी को भी दे दें। वह तो सबको अच्छी-अच्छी चीजें देते हैं। हमें खुशी बाँटनी चाहिए, दर्द या दुख नहीं।

दादी, इस शहर में हम बहुत-से लोगों को नहीं जानते। उनमें से किसी को भी भगवान आपके घुटनों का दर्द दे सकते हैं।तनुजा ने कहा।

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तनुजा, क्या तुम्हें अच्छा लगेगा कि मेरे पैरों  का दर्द किसी अनजान व्यक्ति के पैरों में चला जाएग?” दादी पूछ रही थीं।

दादी, अच्छा तो नहीं लगेगा, लेकिन आपका दर्द फिर कैसे ठीक होगा?” तनुजा ने जानना चाहा।

दादी ने तनुजा को गोद में भर लिया। उसके बाल सहलाती हुई बोलीं, “हम किसी को उसके जन्मदिन पर उपहार देते हैं। लेकिन क्या दर्द किसी को उपहार में देना चाहिए?”

नहीं। उपहार में तो अच्छी चीज का ही दिया जाना अच्छा लगता है।तनुजा ने कहा।

दादी ने कहा, “तनुजा, तुम्हारा मन अच्छा और सुंदर है। मेरा दर्द किसी और को परेशान करे यह बात तुम्हें अच्छी लगेगी, मुझे। इसलिए मैंने भगवान से कह दिया-भगवान, मेरा दर्द किसी और को मत देना। मेरी तनुजा को यह अच्छा नहीं लगेगा।...बस फिर मेरी नींद टूट गई।

लेकिन दादी, आपके घुटनों  का दर्द फिर...”

बुढ़ापे में उम्र बढ़ने पर कई तकलीफें भी आती हैं। हमें परहेज करना चाहिए और समय पर दवा खानी चाहिए।

लेकिन दादी, आप तो दवा समय पर लेना ही भूल जाती हैं। बताइए, आज दवा ली आपने?” तनुजा ने पूछा।

अरे बेटी, मैं तो भूल ही गई। ला अभी खा लेती हूँ। आगे से ध्यान रखूँगी जिससे मेरी प्यारी तनुजा नाराज़   हो जाए।कहकर दादी हँस पड़ीं। तनुजा उनकी दवाई लेने दौड़ गई।(समाप्त )