Thursday 11 March 2021

गड़बड़झाला-शरारती बाल गीत-देवेंद्र कुमार

गड़बड़झाला-शरारती बाल गीत-देवेंद्र कुमार

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आसमान को हरा बना दें

धरती नीली पेड़ बैंगनी

गाड़ी नीचे ऊपर हम सब

फिर क्या होगा-गड़बड़झाला!

 

कोयल के सुर मेंढ़क बोले

उल्लू दिन में आंखें खोले

सागर मीठा, चंदा काला

फिर क्या होगा-गड़बड़झाला!

 

दादा मांगें दांत हमारे

रसगुल्ले हों खूब करारे

चाबी अंदर बाहर ताला

फिर क्या होगा-गड़बड़झाला!

 

चिडि़या तैरे मछली चलती

आग यहां पानी में जलती

बरफी में हो गरम मसाला

फिर क्या होगा-गड़बड़झाला!

 

दूध गिरे बादल से भाई

तालाबों में पड़ी मलाई

मक्खी बुनती मकड़ी जाला

फिर क्या होगा-गड़बड़झाला!

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