किस्सा निर्वासित परियों का -
कहानी
--देवेंद्र कुमार
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पुष्प परी हमेशा की तरह धरती पर उतरी
रात के समय। उसने दो बच्चों का ज्वर उतार दिया, एक बूढी अम्मा के घुटनों का दर्द ठीक
कर दिया तभी पूर्व दिशा में उजाला होने लगा। परी लोक
के नियम के अनुसार उसे अब आकाश में उड़ जाना
चाहिए था। पर तभी उसके कानों ने एक बच्ची के रोने की आवाज़ सुनी। परी आवाज़ की दिशा में बढ़ चली। बच्ची का तो पता नहीं चला पर इतने में
उजाला हो गया। पलक झपकते ही परी की जादुई शक्तियां समाप्त हो गईं ,
अब
वह परी लोक नहीं लौट सकती थी|
नीलम परी
के साथ भी कितना बुरा हुआ। नीलम और पुष्प परी
पक्की सहेलियां थीं। वे साथ साथ धरती पर उतरती थीं और फिर एक साथ ही परीलोक वापस लौटती थीं। उस रात नीलम नदी
तट पर घूम रही थी।उसका मन स्नान करने का हुआ। उसने अपने पंख उतार कर एक तरफ रख दिए और
पानी
में उतर गई। उसे पता नहीं था कि पास में एक मछुआरा मौजूद था। वह पंख उठा कर चल
दिया। नीलम परी ने मछुआरे से पंख लौटाने की
चिरौरी की। पर मछुआरे ने उसकी एक न सुनी। वह शैतान नीलम परी के पंख लेकर न जाने
कहाँ चला गया। नीलम परी रोती रह गई। नीलम
की सारी शक्तियां उसके नीले पंखों में थीं।
पुष्प परी और नीलम परी गहरे संकट में
फंस गई थीं। अब से उन्हें धरती पर ही रहना था सदा के लिए , तभी नीलम ने कहा-' बीती रात तुमने दो बच्चों का ज्वर
उतारा था और एक बूढी दादी के घुटनों का दर्द ठीक किया था।'
‘ ऐसा तो परियां हर रात किया करती हैं। '
'हम इस बड़ी दुनिया में एकदम अकेली हो गई
हैं। कोई तो होना चाहिए जिससे हम बात कर
सकें। हम उन दो बच्चों और बूढी दादी से उनका हाल तो पूछ ही सकते हैं।'-नीलम बोली।
1
दोनों
उस घर के सामने जा खड़ी हुईं जहाँ दो भाई बहन नरेश और विभा रहते थे। बीती रात पुष्प परी ने उनका ज्वर उतारा था।नीलम ने पुकारा-'अब नरेश और विभा का बुखार कैसा है
?’
बच्चों की माँ रमा ने देखा -बाहर दो
युवतियां खड़ी थीं -सुंदर ,सलोनी। रमा ने इससे पहले उन्हें कभी
नहीं देखा था।देखती भी कैसे ,
पुष्प
और नीलम अब परियां नहीं रह गई थीं इसीलिए लता उन्हें देख पा रही थी। उसने कहा- दोनों
बच्चे अब ठीक हैं। पता नहीं कैसे रात में उनका बुखार अपने आप उतर गया था। पर आप
दोनों कौन हो? हमारे बच्चों के नाम कैसे जानती हो !'
पुष्प ने कहा-'हम दोनों परदेसी हैं, बच्चों के बारे में लोगों से सुना तो उनका हाल जानने आई हैं। '
‘तुम दोनों का घर कहाँ है?'-लता ने फिर पूछा।
पुष्प और नीलम ने झूठी कहानी सुना दी-'हमारा परिवार नाव में यात्रा कर रहा था।
तभी तूफ़ान आ गया और हमारी नाव उलट गई। फिर पता नहीं क्या
हुआ। हमें अस्पताल में होश आया। हमारे परिवार का कुछ पता नहीं चला । बस तभी से हम दोनों बहनें
भटक रही हैं।‘
विभा उठ कर बैठ गई बोली-‘क्या आप दोनों मेरी मौसी बनोगी? अभी तो मैं इस गुड़िया के साथ खेलती
हूँ, फिर आप के साथ खेलूंगी और खूब बातें करूंगी।’
उसने
अपने हाथ में एक गुड़िया को थाम रखा था।
नीलम ने कहा-'बहुत सुन्दर है तुम्हारी गुड़िया।कहाँ
से लाई हो?’
‘ खिलौना दादी ने दी है यह गुड़िया मुझे।'
'यह खिलौना दादी कौन हैं।'पुष्प ने पूछा।
लता ने बताया- हमारे घर से कुछ ही दूर
रहती हैं गोपा दादी। वह बहुत सुंदर खिलौने बनाती हैं। मोहल्ले के बच्चे उन्हें इसी
नाम से बुलाते हैं। कल रात उनके घुटनों का दर्द पता नहीं कैसे ठीक हो गया। पुष्प और नीलम ने एक दूसरे की ओर देखा
-- 'क्या
उसी तरह जैसे नरेश और विभा का ज्वर उतर गया था।'-पुष्प ने पूछा।
‘हाँ,मैं इन दोनों के बुखार से बहुत परेशान
थी,क्योंकि
घर
में दवा के लिए पैसे थे नहीं और डॉक्टर उधार दवा देने को तैयार नहीं
था। '-लता ने कहा -'इनका बुखार जैसे किसी जादू से उतर गया
था कल रात।’
2
पुष्प ने विभा से कहा-'हम तुम्हारी खिलौना दादी से मिलने जा
रहे हैं। जरा हम भी तो देखें उनके खिलौने। '
नीलम और पुष्प 'खिलौना दादी'
के
नाम से बच्चों की प्यारी गोपा दादी के दरवाजे पर जा पहुंची। उन्होंने देखा-एक बूढी औरत खिलौने बना रही थी। गोपा दादी के पास बहुत सारे तैयार खिलौने रखे
हुए थे। नीलम और पुष्प ने कहा-'खिलौना दादी,
प्रणाम।
आपके घुटनों का दर्द कैसा है ?'
अब गोपा दादी ने कहा-'अरी लड़कियों ,कौन हो तुम?’
पुष्प और नीलम ने वही कहानी दोहरा दी जो लता से
कही थी।
गोपा दादी ने कहा-'यह तो बहुत बुरा हुआ ,भगवान् करे तुम्हारा खोया परिवार जल्दी
मिल जाए। ‘
'दादी,
आप
इतने सुन्दर खिलौने कैसे बना लेती हैं!'
'मेरे बापू बहुत अच्छे खिलौने बनाते थे। बचपन में उन्हीं से सीखा था।’
पुष्प और नीलम को परी लोक की एक घटना याद आ गई।
एक दिन परी रानी के आदेश पर उन दोनों ने धरती वासियों के,
पशु
पक्षियों के अनेक खिलौने बनाये थे। पुष्प और नीलम के बनाये धरती के
खिलौनों को परीलोक में बहुत पसंद किया गया। नीलम ने पुष्प से कहा -''
हम
परीलोक को भी तो खिलौनों के रूप में धरती
वासियों के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं|’
इस पर पुष्प ने गोपा से कहा- ‘दादी, आपकी ही तरह हम दोनों ने भी अपने पिता
से खिलौने बनाना सीखा है| '
'अरे वाह ,जल्दी बना कर दिखाओ। मैं भी तो देखूं तुम्हारी कलाकारी।'-गोपा दादी बोलीं और खिलौने बनाने में व्यस्त हो गई। नीलम और पुष्प की उँगलियों ने भी
परीलोक के पात्रों को खिलौनों का रूप देना शुरू कर दिया। तभी गोपा दादी का
बेटा भुवन आ गया। गोपा ने उसके पूछने से
पहले ही नीलम और पुष्प के बारे में बता दिया। उनके बनाये खिलौने देख कर भुवन चकित रह गया। -'अद्भुत और आश्चर्य जनक! ऐसे खिलौने तो
मैंने इस से पहले कभी नहीं देखे। '
गोपा दादी भी अचरज से ताक रही थी। बोली -ये पंख
वाली लडकियां ,ये पंखों वाले घोड़े हमारी दुनिया के तो
नहीं हैं ।क्या तुमने इन्हें कहीं देखा है!'
3
पुष्प ने कहा-'मैंने इन्हें एक रात सपने में देखा था।जैसे
मैं किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गई थी। क्या हमारे बनाये खिलौने अच्छे नहीं हैं?'
गोपा ने दोनों को गले लगा लिया। बोली
-तुम दोनों तो अद्भुत कलाकार हो।'
भुवन ने
कहा-'दो दिन बाद मेला लगेगा, मैं भी वहां खिलौनों की दूकान लगाऊंगा
,तुम दोनों के बनाये ये विचित्र खिलौने मेले में आने वाले बहुत पसंद करेंगे। ये हाथोहाथ बिक जायेंगे। '
'लेकिन हम इन खिलौनों को बेचना ठीक नहीं
समझते। 'नीलम बोली –‘हाँ आप अपने खिलौने बेचते समय इन्हें उपहार में दे सकते हैं।'
भुवन ने वैसा ही किया। पुष्प और नीलम के खिलौनों
के कारण भुवन के सारे खिलौने तुरंत बिक गए। उसे अच्छी आमदनी हुई। उसने माँ को बताया तो गोपा दादी ने कहा-'यह इन लड़कियों के खिलौनों के कारण हुआ
है। आधे पैसे इन्हें दे दे।'पर पुष्प और नीलम ने लेने से मना कर
दिया। कहा-'आप इन
पैसों को किसी अच्छे काम में लगा दो।' और फिर पुष्प ने बताया कि कैसे मोहल्ले का डाक्टर बीमार बच्चों के इलाज के लिए अधिक पैसे
मांगता है। 'क्या आप उन बच्चों की मदद करेंगे।'
भुवन ने कहा-'मैं लालची डाक्टर को खूब जानता हूँ। मैं
उससे बात करूंगा।’
अगले दिन डाक्टर के क्लिनिक के बाहर एक
बोर्ड लगा मिला-उस पर लिखा था-'यहाँ बच्चों का मुफ्त इलाज़ किया जाता
है।'भुवन ने डाक्टर से कह दिया था कि बीमार बच्चों
के इलाज का खर्च वह उठाएगा। तब से मोहल्ले
के परिवारों की एक बड़ी चिंता दूर हो गई।
बातों बातों में मैं आपको एक जरूरी खबर
देना तो भूल ही गया--एक रात पुष्प और नीलम न जाने कहाँ चली
गईं ! भुवन ने बहुत खोजा पर उनका कुछ पता न चला। एक बात तो पक्की
है-पुष्प और नीलम परीलोक तो नहीं लौट सकती। वे दोनों हमेशा के लिए हमारी धरती पर
रहने को अभिशप्त हैं। क्या कोई बता सकता है कि उनके साथ क्या
हुआ। मुझे पता नहीं,आप सब भी शायद नहीं जानते ,तो फिर
…फिर….(समाप्त )
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