बारिश में चिडि़या-बाल गीत-देवेंद्र कुमार
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बारिश में चिडि़या की बात
भीगे पंखों में बैठी हैं
उसके घर में टप-टप होती
कैसे बीतेगी अब रात
दूर-दूर तक फैला पानी
बारिश ने है चादर तानी
कैसे कहां उड़े बेचारी
कोई कहीं नहीं है साथ
गीले तिनके भीगा दाना
मौसम जैसे देता ताना
सूरज-चंदा घूंघट में हैं
अबके बहुत बुरी बरसात
मौसम उसकी हंसी उड़ाए
वह बेचारी उड़ न पाए
क्यों न हम घर में ले आएं
उसे खिलाएं सूखा भात
बारिश में चिडि़या की बात
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प्यारी सी भोली सी कविता।
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