मेरा सपना- बाल गीत -देवेंद्र कुमार
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आंगन में था पेड़ घना
हरे-हरे पत्ते थे उसके
झूम-झूमकर हमें बुलाते
हरियल छाता रहे तना
उस पर कितने पंछी रहते
सुबह-शाम थे शोर मचाते
सावन में झूला पड़ता था
सबको लगता था अपना
बाबा को बेहद प्यारा था
मम्मी हर दिन दीप जलातीं
मैं ऊपर चढ़कर छिप जाता
चाहे कोई करे मना
एक दिन काली आंधी आई
सारी रात चला तूफान
सुबह उठे तो देखा हमने
न जाने कब गिरा तना
आंगन में छाया सन्नाटा
सारे पंछी चले गए
बाबा ने खाना न खाया
मैंने भी कर दिया मना
फिर पापा एक पौधा लाए
सबने मिलकर उसे लगाया
मुझसे बोले-पानी देना
यह तो है तेरा सपना
हां जी हां, मेरा सपना
आंगन में हो पेड़ घना
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