--मेरे सात बाल
उपन्यास --(कथासार)
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कुछ वर्ष पहले मेरे
सात बाल उपन्यासों का संकलन प्रकाशित हुआ था. पुस्तक का कलेवर बड़ा है, इसलिए मैं पाठकों की सुविधा
के लिए यहाँ सातों उपन्यासों का कथा सार क्रमशः प्रस्तुत
कर रहा हूँ. प्रत्येक उपन्यास
के कथासार को स्वतंत्र कहानी के रूप में भी पढ़ा जा सकता है.
=बाल उपन्यास सूची
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१.पेड़ नहीं कट रहे हैं २ चिड़िया और चिमनी ३ एक छोटी बांसुरी
४ खिलौने ५. नीलकान ६. अधूरा सिंहासन ७. हीरों के व्यापारी|
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इससे पहले आप 'पेड़ नहीं कट रहे हैं','चिड़िया और चिमनी' ,'एक छोटी बांसुरी' , 'खिलौने ' और 'नीलकान' उपन्यासों उपन्यासों
के कथासार पढ़ चुके हैं ,अब प्रस्तुत है 'अधूरा सिंहासन ' की संक्षिप्त
कथा .
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6. अधूरा सिंहासन
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जंगल में छात्रों की
बस ख़राब हो जाती है. वे समय बिताने के लिए सामने दिखाई देती गुफा में चले जाते
हैं. वहां हाथी दांत के दो सिंहासन रखे हैः. उनमें एक पूरा है और दूसरा अधूरा. गुफा की दीवारों पर हाथियों के शिकार और कटे
पेड़ों के चित्र भी बने हैं. सब हैरान थे. आखिर इनका रहस्य क्या था! पूछताछ करते हुए छात्र और अध्यापक सुखपुर पंहुच जाते हैं. वहां जयंत मिलते
हैं. वह भी उनके साथ गुफा में जाते हैं. एक सिंहासन पर राजा मानवेन्द्रसिंह लिखा है.
राजा जयंत के पुरखे थे. पर उनका
सिंहासन निर्जन गुफा में क्यों रखा था, इस बारे में
जयंत को भी कुछ पता नहीं है.
एक सुबह जयंत
चुपचाप कहीं चले जाते हैं.वे देर तक नहीं
लौटे तो बच्चों के दोनों टीचर जयमल और
विजयन गुफा में खोजने गए. जयंत नीचे वाली
गुफा में बेहोश मिले. जयंत को होश आ
गया.गुफा में कीमती साड़ियाँ और चित्रकला
का सामान मिला.गुफा में आने जाने का एक
गुप्त मार्ग भी मिला.
पूरे और अधूरे
सिंहासनों का रहस्य जयंत को एक पुरानी किताब में
मिला. उसमे लिखा था -- राजा
मानवेन्द्र काफी पहले हुआ था. भूकंप में
सिंहासन टूट जाने से राजा ने हाथी
दांत का सिंहासन बनवाने का फैसला किया. रानी देवयानी ने मना किया, इससे काफी निर्दोष हाथी मारे जाने वाले थे. पर
राजा नहीं माना. बहुत सारा हाथी दांत चोरी
से पास के चरकारी राज्य में चला गया.
दोनों राज्यों के बीच युद्ध की नौबत आ गई. फिर रानी देवयानी गायब हो गई. ऐसा ही
चरकारी में भी हुआ. दोनों राजाओं के पास
पत्र आए कि अगर युद्ध नहीं टाला गया तो
रानी का सर काट कर भेज दिया जाएगा. दोनों
राजा डर गए और युद्ध रोक दिया गया. दोनो
राजाओं ने हाथी दांत के सिंहासनों को गुफा में रखवा दिया.चरकारी वाला सिंहासन अधूरा था. फिर दोनों रानियाँ सकुशल वापस आ गईं .
देवयानी ने मानवेन्द्र को बताया कि युद्ध को रोकने के लिए दोनों रानियों ने मिल कर
यह नाटक किया था. वह पति को गुफा में ले
गईं. हाथियों और कटे पेड़ों के
चित्र देवयानी ने बनाये थे.
इस तरह पूरे और
अधूरे सिंहासनों का रहस्य खुल गया.जयंत ने गुफा में पर्यावरण का संग्रहालय बनवाने का फैसला किया . (समाप्त )
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