Sunday 10 October 2021

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)

 

-मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)

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कुछ वर्ष  पहले मेरे सात बाल उपन्यासों का संकलन प्रकाशित हुआ था. पुस्तक का कलेवर बड़ा है, इसलिए मैं  पाठकों की सुविधा के लिए यहाँ सातों उपन्यासों का कथा सार   क्रमशः प्रस्तुत कर रहा हूँ. प्रत्येक उपन्यास के कथासार को स्वतंत्र कहानी के  रूप  में भी पढ़ा जा सकता है.

 

                                           =बाल उपन्यास सूची =

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१.पेड़ नहीं कट रहे हैं २ चिड़िया और चिमनी ३ एक छोटी बांसुरी ४ खिलौने                                            . नीलकान ६. अधूरा सिंहासन ७. हीरों के व्यापारी|

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इससे पहले आप 'पेड़ नहीं कट रहे हैं','चिड़िया और चिमनी' ,'एक छोटी बांसुरी'   तथा'खिलौने ' उपन्यासों के कथासार पढ़ चुके हैं ,अब प्रस्तुत है 'नीलकान 'की संक्षिप्त कथा .

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5.       नीलकान

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गोनू मजदूरी करके पेट पालता है. वह दुनिया में  अकेला है. उसी बस्ती में  परमू का मेहनती गधा भी है, जिसके कानों को परमू ने नीले रंग से रंगा हुआ है. एक दिन परमू का गधा गोनू के पास खड़ा था, तभी किसी ने गोनू को गधा कह कर पुकारा. परमू का गधा सोचने लगा-यह लड़का तो मनुष्य है फिर इसे गधा क्यों कहा जा रहा है?वह गोनू से पूछना चाहता है पर वह तो बोल नहीं सकता ,केवल रेंक सकता है. वह सोचता है- हे भगवान् ! क्या मैं मनुष्य की तरह नहीं बोल सकता?’

 

और तभी चमत्कार हुआ. परमू का गधा मानवों की तरह बोलने लगा. उसने कहा-गोनू भाई, क्या  हाल है? तुम कुछ उदास लग रहे हो.गोनू चिल्लाया-भूत, भूत !और वहां से भाग चला. परमू के  गधे ने कहा-मैं भूत नहीं हूँ. और उसे समझाया= तब गोनू शांत हुआ. उसने जान लिया कि दुनिया में  चमत्कार भी होते हैं. दोनों में दोस्ती हो गई. गोनू  ने गधे का नाम नील कान रख दिया. दोनों ऐसे भले लोगों की खोज में  चल दिए, जो सबके दुःख दूर करना चाहते हैं -क्या गोनू और नीलकान की खोज यात्रा सफल होगी !

 

आगे  उन्हे एक बुढिया मिली जो भूख से परेशान थी. गोनू ने उसे खाना खिलाया. गोनू और नीलकान ने रात वहीँ बिताई. लेकिन  गोनू  जब सुबह उठा तो  नीलकान  गायब था. गोनू को नीलकान एक गड्ढे में  गिरा हुआ  मिला. उसे  बाहर निकाला गया . उसने गोनू को  बताया कि गड्ढे में  सोने के सिक्कों की पोटली पड़ी है.

 

वे सिक्कों के असली मालिक की खोज मैं निकल पड़े. गोनू ने सिक्कों की पोटली नीलकान के  गले से लटका दी. एक पुल से गुजरते हुए पोटली नीचे तैरती एक नाव में  जा गिरी. गोनू जल्दी से नाव के  पास जा पंहुचा. नाव के मल्लाह ने उनकी मदद की और पोटली खोज ली  लेकिन झटका लगने से सिक्कों की पोटली   इस बार  नदी में  गिर गई.  दोनों निराश हो गए। लेकिन फिर सोचा-' भले आदमियो की खोज यात्रा में न जाने कितनी बाधाएं आएंगी ,उन्हें रुकना नहीं है।

 

दोनों आगे चले . एक मैदान में  पशु मेला लगा था.वहां नीलकान को किसी ने पकड़ लिया. अब नीलकान का पता कैसे चले, क्योंकि वहां कई गधों के कान नीले रंग में रंगे हुए थे. तब नीलकान ने मानवों की तरह बोल कर  सब को हैरान कर दिया. गोनू दौड़ कर अपने  मित्र के पास जा पहुंचा ,उसकी चिंता दूर हो गई।  लेकिन तभी एक नई मुसीबत ने घेर लिया. वहां मौजूद चार ठगों ने नीलकान को पकड़ लिया. वे उसे राजा  को दे कर इनाम लेना चाहते थे. जब ठग नीलकान को ले जा रहे थे तो गोनू ने धीरे से नीलकान के कान में कह दिया-दोस्त, आदमी की बोली में  कभी मत बोलना.’

 नीलकान दरबार में सिर्फ रेंकता रहा.  राजा ने ठगों को जेल  में डाल दिया।  नीलकान आज़ाद हो गया. और तब उसने  मानव की बोली बोल कर  राजा को चकित कर दिया. और कहा-'मैं  कोई भूत प्रेत नहीं एक सामान्य गधा हूँ। मैं नहीं जानता कि मेरे साथ यह चमत्कार कैसे हो गया है.

 राजा  ने कहा- नीलकान, तुम हमें राज्य की सच्ची ख़बरें  दिया करो. नीलकान ने सच बताया तो मंत्री नाराज हो गया क्योंकि वह राजा से झूठ  कहा करता था. वह नीलकान को मारने की कोशिश करने लगा . नीलकान  और गोनू जान बचा कर भाग निकले।  

गोनू ने बूढी अम्मा के पास रहने का फैसला किया. दुनिया में  उसका कोई और था भी नहीं. अम्मा खुश  थी, पर एक दिन नीलकान  न जाने कहाँ चला गया. क्या वह फिर कभी गोनू के पास लौट कर आएगा !उसने गोनू का साथ क्यों छोड़ दिया था. अपने इस प्रश्न का उत्तर गोनू को कभी नहीं मिला। (समाप्त )  

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