Sunday 26 September 2021

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)-

 

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)-

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कुछ वर्ष  पहले मेरे सात बाल उपन्यासों का संकलन प्रकाशित हुआ था. पुस्तक का कलेवर बड़ा था.पाठकों की सुविधा के लिए मैं यहाँ सातों उपन्यासों का कथा सार   क्रमशः  प्रस्तुत कर रहा हूँ.

 

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१.पेड़ नहीं कट रहे हैं २ चिड़िया और चिमनी ३ एक छोटी बांसुरी ४ खिलौने ५    नीलकान ६. अधूरा सिंहासन ७. हीरों के व्यापारी

 आप  इससे पहले 'पेड़ नहीं कट रहे हैं 'तथा  'चिड़िया और चिमनी' उपन्यासों के कथासार पढ़ चुके हैं। इस बार प्रस्तुत है 'एक छोटी बांसुरी' का कथासार-

3.       एक छोटी बांसुरी(हिंदी अकादेमी (दिल्ली )द्वारा पुरस्कृत

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नौ साल का अमर परेशान रहता है. उसके सैनिक पिता लड़ाई के मोर्चे से लापता हो गए हैं. अमर जानना चाहता है कि पिता कब आयेंगे. पर इसका जवाब उसकी मां कुसुम  के पास नहीं है. वह तो खुद ही परेशान है.अमर ने किताब में एक कहानी पढ़ी थी जिसमे एक लड़का  अपने खोए हुए भाई की खोज में  जाता है और उसे खोज कर ले आता है. अमर को लगता है कि उसे पिता की खोज में जाना चाहिए. लेकिन माँ को छोड़ कर कैसे जाए.

एक रात उसकी नींद टूट जाती है. वह घर से बाहर आ जाता है.सुनसान सड़क पर सैनिक मार्च करते जा रहे हैं. अमर सोचता है शायद इनमे से कोई सैनिक उसके पिता का पता बता दे,और वह भी उनके साथ साथ चलने लगता है.वह देर तक चलता जाता है. सैनिक जा चुके हैं. अमर भी थककर सड़क पर लेट कर सो जाता है.

एकाएक अमर की नींद टूटती है.सब तरफ जंगल है.वह घबरा जाता है.उसकी समझ में  कुछ नहीं आ रहा है. उसे अब माँ की याद आ रही है. वहां एक बूढा आता है.वह बांसुरी बजाकर भीख मांगता है.अमर उसे पिता के बारे में  बतलाता है.बूढा अमर से  कहता है कि वह उसके पिता को जानता है और अमर को उनके पास ले जा सकता है.भोला अमर ! उसे क्या पता कि बूढा उसे धोखा दे रहा है. वह उसके साथ चल देता है. वह पिता  से मिलने की  कल्पना में  खोया हुआ है.

 वे दोनों एक गाँव में  पहुंचते हैं.वहां एक औरत इन्हे खाना देती है.शाम ढल रही है. वह औरत कहती है-'जहाँ तुम बैठे हो वहां सांप निकलते  हैं.गाँव के बाहर एक मंदिर है,तुम वहां चले जाओ.' रात में  वही औरत इन दोनों के लिए खाना लेकर आती है. उसके साथ अमर की उम्र  का एक लड़का है.वह उसका पोता है  --गूंगा -बहरा. वह साथ लाई लालटेन ले जाती है.तभी एक चीख सुनाई देती है. पता चलता है,उसके पोते  रोहू को सांप ने  काट लिया है. गांव वाले रोहू को  शहर के अस्पताल ले जाते हैं,बूढा और अमर भी साथ हैं  बांसुरी बाबा ने इस बीच अमर को बांसुरी बजाना सिखा दिया है

.एक शाम मौसम खराब है.अमर बांसुरी- बाबा के साथ एक सराय  के बाहर खड़ा है.वे भूखे हैं और बारिश भी हो रही है.पर उन्हें कोई अन्दर नहीं जाने देता. तभी एक सेठ परिवार के साथ वहां आता है.सेठ सराय  में  चला जाता है.बांसुरी बाबा कुछ लोगों की बातें सुनता  है तो शोर मचा देता है.वे लोग सेठ को लूटने की बातें कर रहें हैं. वे लोग बांसुरी बाबा को घायल करके भाग जाते हैं. अब इन्हें अन्दर जगह मिलती है.बांसुरी बाबा को बहुत चोट लगी है. वह अमर से कहता है- मैंने तुझ से झूठ कहा था,मैं तेरे पिता को नहीं जानता.अमर बहुत घबरा जाता है  और बेहोश होकर गिर पड़ता है.बांसुरी बाबा की मौत हो जाती  है.

अमर बहुत बीमार है पर उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं. तभी डॉक्टर रायजादा वहां किसी को देखने आते हैं. उन्हें अमर के बारे में  पता चलता है.अमर को देखते ही डॉक्टर समझ जाते हैं कि अगर उसकी देखभाल नहीं हुई तो वह मर सकता है.रायजादा अमर को अपने घर ले जाते हैं.

 गाँव में  उनकी बहन की शादी है.वह अमर को अपने साथ ले जाते हैं.अमर दवा और  देख भाल से  ठीक हो रहा है.उन्हें अमर ने  सब बता  दिया  है.एक रात वह कहीं चले जाते हैं फिर अमर को अपने पास बुला  लेते हैं. अरे! यह तो रोहू का गाँव है. वहां रोहू मिलता है.फिर  अमर अपनी माँ को देखता है तो रोकर उनसे लिपट जाता है.यह सब डॉक्टर ने किया है. वह रोहू का इलाज कर रहे हैं.डॉक्टर अमर  से कहते हैं-- रोहू का इलाज शहर में ही हो सकता है .क्या तुम इसे अपने घर ले जाओगे? अमर झट रोहू का हाथ पकड़ लेता है. उसे पिता नहीं मिले , पर  कुछ ऐसा मिल गया है जिसे वह हमेशा अपने पास रखना चाहेगा ==

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