Monday 6 September 2021

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)-

 

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)-

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कुछ वर्ष  पहले मेरे सात बाल उपन्यासों का संकलन प्रकाशित हुआ था. पुस्तक का कलेवर बड़ा था.पाठकों की सुविधा के लिए मैं यहाँ सातों उपन्यासों का कथा सार   क्रमशः  प्रस्तुत कर रहा हूँ.

 

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१.पेड़ नहीं कट रहे हैं २ चिड़िया और चिमनी ३ एक छोटी बांसुरी ४ खिलौने ५ नीलकान ६. अधूरा सिंहासन ७. हीरों के व्यापारी

पिछली बार आपने =पेड़ नहीं काट रहे हैं =उपन्यास .की कहानी पढ़ी थी। इस बार प्रस्तुत है =='चिड़िया और चिमनी।

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2.       चिड़िया और चिमनी  (हिंदी अकादेमी / दिल्ली ) पुरस्कार

 

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;चिड़िया और चिमनी 'से जुड़ा हुआ एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करना चाहता हूँ। मैंने २७ वर्ष बच्चों  की लोकप्रिय पत्रिका   'नंदन' के साथ बिताये थे(दुर्भाग्यवश  अब यह बंद हो चुकी है ). प्रति दिन घर से हिन्दुस्थान  टाइम्स जाते समय हमारी बस ito पुल  से गुजरती थी. पुल के एक  तरफ इंद्रप्रस्थ बिजलीघर है. उसकी ऊँची चिमनी से धुआं  निकलता रहता था. धुंए के बीच से कई बार परिंदों का झुण्ड उड़ता हुआ गुजरता था. यह दृश्य देखते हुए एक दिन मन में आया-अगर धुएँ के बीच से गुजरते हुए किसी चिड़िया का गला खराब हो जाये तो फिर क्या होगा?

बस इसी विचार ने 'चिड़िया और चिमनी' उपन्यास का रूप लिया.

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कारखाने  की ऊँची चिमनी से लगातार काला विषैला धुआं निकलता रहता है. जंगल में  रहने वाली नीलम चिडिया काले धुएं के बादल के बीच से गुजरी तो उसका गला खराब हो गया, वह बीमार हो गई. पूरे जंगल में यह बात फैल गई.जंगल के राजा  हाथी दादा को नीलम बतलाती है कि चिमनी के धुऐं के कारण वह बीमार हो गई है. हाथी दादा को क्रोध आ जाता है. वह चिमनी को इस अपराध के लिए दंड देने का फैसला करते हैं. हाथी दादा जंगल के निकट बने कारखाने में जाकर अपने पैर की ठोकर से चिमनी को गिरा देते हैं.दोषी को दंड मिल गया. नीलम चिडिया खुश है. लेकिन तभी कुछ पक्षी कारखाने से लौट कर हाथी दादा को बतलाते हैं कि  उन्होंने चिमनी के रोने की आवाज़ सुनी है.वह कह रही है कि उसका क्या कसूर? वह तो दूसरे कामगारों की तरह नौकरी करती है. वह चाह कर भी धुऐं को निकलने से नहीं रोक सकती, क्योंकि उसके हाथ तो हैं नहीं जो अपना मुंह बंद कर सके. 

 

   हाथी दादा को लगता है यह तो गलत हो गया. तोड़फोड़ के कारण कारखाना बंद है. मजदूर बेकार हो गए हैं.उनके परिवार संकट में  हैं. हाथी दादा उनकी मदद की योजना बनाते हैं. लंगूरों के  झुण्ड रात के समय बस्ती में  फलों के ढेर लगा देते हैं.लेकिन बात नहीं बनती,फल रोटी का स्थान नहीं ले सकते.

 

 अब क्या हो? तभी कारखाने का मालिक  हरचरण अपने दोस्तों के साथ जंगल में  शिकार खेलने आ जाता है. जंगल में गोली चलने की आवाज़ गूंजने लगती है. जंगल के जीव नाराज़ हैं. वे शिकारियों को घेर लेते हैं. लंगूर शिकारियो की बंदूकें झील मैं फ़ेंक देते हैं. फिर हरियल तोते की मदद से शिकारियों और हाथी दादा के बीच बातचीत होती है. हरियल तोता मानवों की भाषा जानता है. पहले तो हरचरण अकड़ता है पर हाथी  दादा उसे चेतावनी देते हैं कि वे लोग जंगल  से बच  कर नहीं जा सकते . डरा हुआ हरचरण जंगल की हर शर्त मानने पर विवश है.

 

हाथी दादा कहते हैं- चिमनी की मरम्मत करवाओ, उसमें विषैले रसायन और कालिख को बाहर निकलने से  रोकने वाले उपकरण फिट करवाओ. बीमार मजदूर परिवारों के  इलाज का प्रबंध तुरंत हो.और सबसे बड़ी बात यह कि बंद कारखाना चालू हो ताकि मजदूरों को काम मिले.

 

हरचरण ऐसा ही करता है.इसके पीछे जंगली जानवरो के नए हमले का डर  भी जरूर रहा होगा. चिमनी अब फिर से सीधी खड़ी है और उसके अंदर से काला नहीं सफ़ेद धुआं निकल रहा है. कारखाना चल रहा है. नीलम चिडिया चिमनी के पास होकर आई है.दोनों सहेलियाँ बन गई हैं.  ==

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