Friday 3 September 2021

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)

 

--मेरे सात बाल उपन्यास --(कथासार)

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कुछ वर्ष  पहले मेरे सात बाल उपन्यासों का संकलन प्रकाशित हुआ था. पुस्तक का कलेवर बड़ा है इसलिए , मैं  पाठकों की सुविधा के लिए यहाँ सातों उपन्यासों का कथासार   क्रमशः प्रस्तुत कर रहा हूँ. प्रत्येक उपन्यास के कथासार को स्वतंत्र कहानी के  रूप  में भी पढ़ा जा सकता है.

 

                                           =बाल उपन्यास सूची =

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१.पेड़ नहीं कट रहे हैं २ चिड़िया और चिमनी ३ एक छोटी बांसुरी ४ खिलौने                                            . नीलकान ६. अधूरा सिंहासन ७. हीरों के व्यापारी|

 

 

 

1.              पेड़ नहीं कट रहे हैं (बाल उपन्यास) ==कथा सार

                             (बाल साहित्य का राष्ट्रीय पुरस्कार )

 

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जानू एक अनाथ  बालक  है. वह एक पेड़ के नीचे रहता है. रोटी के लिए बोझा ढोता है. सड़क चौड़ी करने के लिए पेड़ काट दिया जाता है. अब वह क्या करेगा,कहाँ जाएगा ?वह परेशान खड़ा है, तभी  पेड़ से एक घोंसला गिरता है. कुछ देर के लिए वह अपनी चिंता भूल जाता है .,फिर कुछ सोच कर घोंसले  को एक बंगले की चारदीवारी के छेद में टिका देता है.

 

बंगले में अजीत अपने अमीर पिता के साथ रहता है. अजीत जानू से कहता है- घोंसले को हमारे लॉन के पेड़ पर टिका दो. जानू की चिंता दूर हो जाती है. दोनों के बीच घोंसले की दोस्ती हो जाती है.  अजीत बढ़िया स्कूल मैं है, जानू  रोज उसे स्कूल जाते हुए देखता तो मन में आता है -क्या मैं भी कभी पढ़ सकूंगा।  

अजीत के कई दोस्त हैं  लेकिन जानू को वे ठीक नहीं लगते. कई तो अजीत से उम्र में बड़े लगते हैं. जानू ने उन्हें कई बार सिगरेट पीते हुए देखा है.  एक दिन जानू अजीत को कबाड़ी शेख की दूकान में  जाते हुए देखता है.जब अजीत बाहर आता है तो बस्ता उसकी पीठ पर नहीं है. जानू को लगता है वह बस्ता शेख की दूकान में भूल गया है. जानू शेख से अजीत का बस्ता लौटाने को कहता है पर शेख उसे बताता है कि जानू बस्ता बेच गया है.जानू को विश्वास नहीं होता.

 

शेख बीमार है, जानू उसकी मदद करता है, दवाई देता है. दोनों एकदूसरे को अपनी जीवन कथा सुनाते हैं. दोनों ही दुनिया में अकेले हैं. उनमें निकटता हो  जाती है. शेख बस्ता जानू को लौटा देता है. जानू अजीत को उसका बस्ता वापस देता है  तो वह जानू से नाराज़ हो जाता है. उसे लगता है जानू उसकी जासूसी कर रहा है, जबकि जानू तो बस इतना चाहता है कि अजीत अपने नकली दोस्तों से दूर रह कर ठीक से पढ़े  लेकिन अजीत उसकी कोई बात सुनने को तैयार नहीं.

कुछ दिन बाद एक शाम जानू अजीत को अपने दोस्त के साथ रेलवे स्टेशन पर देखता है. आखिर अजीत इस समय वहां कर क्या रहा है? जानू अजीत के साथी को एक दाढ़ीवाले से बातें करते हुए सुनता है, इसके बाद अजीत का दोस्त उसे जैसे जबरदस्ती ले जाता है. जानू ने सुना है वे काली कोठी जा रहे हैं.  वह सुनसान जगह में  एक खंडहर इमारत है. जानू समझ गया है कि अजीत किसी साजिश का शिकार होने जा रहा है.  वह भी उन दोनों के पीछे चल देता है,

 

काली कोठी में अँधेरा है.बदमाशों ने अजीत का अपहरण कर लिया है. दाढ़ीवाला उनका लीडर है. वह अपने साथी के हाथों फिरोती का पत्र अजीत के पिता के पास भेजता है, अजीत  बदमाशों  की कैद में है. जानू चुपचाप अंदर घुस जाता है,अजीत एक कमरे में  बंधन में  है. जानू उसके बंधन खोलता है तो  अजीत का नकली दोस्त बदमाशों को सावधान कर देता है.जानू अजीत का हाथ थाम कर भागता है. अब तक अजीत भी सच जान गया है. बदमाश इन दोनों के पीछे भागते हैं पर तभी पुलिस आ जाती है. बदमाश पकड़ लिए जातें हैं. असल में  जब अजीत के पिता फिरौती की रकम लेकर जा रहे थे तभी पुलिस मिल जाती है और उनके साथ  वहां आ जाती है. अजीत की आँखें खुल गई हैं, वह सबके सामने जानू को   अपना असली दोस्त मान लेता है. जानू को लगता है कि अभी बहुत सारे पेड़ हैं आसरे के लिए. (समाप्त )

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