Monday 19 April 2021

'पुलिया का दुःख'

 

'पुलिया का दुःख'

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पुलिया  का दुःख' में मेरा अनुभव बोलता है एक दिन घर से निकला तो गिर कर चोटिल हो गया,मैंने आवाज़ें सुनी-;अरे देखो तो कितना खून निकल रहा है.' मैंने पास खड़े एक युवक से मदद करने को कहा,पर वह ;जरूरी काम' की बात कह कर चला गया. मैं किसी तरह घर आया.उस युवक का इंकार मुझे परेशान करता रहा. हम सभी एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं -मेरे अनुभव के बावजूद यह भाव गलत नहीं हो सकता

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