Monday 24 April 2023

जन्म दिन उदास है -कहानी-देवेंद्र कुमार/

 

जन्म  दिन उदास है -कहानी-देवेंद्र कुमार/

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  नए साल का पहला दिन -एक जनवरी ,और 23 बच्चे उदास हैं। उन्हें मालूम है कि पिछली एक जनवरी की तरह इस बार  उनका जन्म दिन नहीं मनाया जाएगा,क्यों भला! क्योंकि प्रथम अभी स्वस्थ नहीं हुआ है। 23 बच्चों के जन्म दिन का प्रथम के अस्वस्थ होने से आखिर क्या सम्बन्ध है?  है,बहुत गहरा सम्बन्ध है, और इसका पता लगा एक नई साइकिल से जिसे अजय ने गैलरी में गमलों के पीछे खड़ी देखा था।

  मैं आपको पूरी कहानी सुनाता हूँ। अजय का परिवार  नए फ़्लैट में रहने आया है। दो दिन अजय और उसकी पत्नी उमा  सामान के बण्डल खोलने और लगाने में व्यस्त  रहे। उनके दोनों बच्चे रमा और दिनेश इधर उधर दौड़ भाग करते रहे। तीसरी  सुबह अजय गैलरी  में निकला  तो नज़र गमलों के पीछे रखी हुई साइकिल पर टिक गई। साइकिल एकदम नई  थी। आखिर नई साइकिल किसकी है? सामने वाले फ़्लैट के  दरवाजे पर ताला लगा था। तीन चार दिन बीत गए, साइकिल उसी तरह खड़ी रही। बाजार जाते समय अजय ने सोसाइटी के गार्ड से पूछा तो पता चला-- अजय के सामने वाले फ़्लैट में जीवन  दास रहते थे। वह साइकिल जीवन दास ने अपने बेटे प्रथम के लिए मंगवाई थी। प्रथम उनका अपना बेटा नहीं था, उसे ज्योति अनाथालय से गोद लिया गया था।

  अजय ने जानना चाहा कि नई साइकिल गमलों के पीछे क्यों खड़ी है तो पता चला कि प्रथम बीमार हो गया था | उसे इलाज के लिए अमरीका भेजने के बाद जीवन  दास यहाँ से कहीं और रहने चले गए हैं ,पर साइकिल यहीं क्यों छोड़ गए यह पता नहीं।  अजय के मन में पूरी बात जानने की इच्छा हुई और उसने गार्ड से ज्योति अनाथालय का पता पूछ लिया।

    प्रथम के बारे में अधिक जानने के लिए एक रविवार को अजय ज्योति अनाथालय जा पहुंचा। वहां की डाइरेक्टर लता से बात हुई और उन्होंने बताया -' संतानहीन जीवन  दास ने यहाँ से विमल नामक बच्चे को गोद लिया था। उन्होंने उसे नया नाम दिया -प्रथम। वह उसका पहला जन्म दिन अनाथालय के सब बच्चों के साथ मनाना  चाहते थे-- नए वर्ष के पहले दिन यानि एक जनवरी को। तब यहाँ विमल यानि प्रथम समेत तेईस बच्चे थे। मैंने जीवन  दास से कहा- ' ज्योति अनाथालय में रहने वाले किसी बच्चे का जन्म दिन  कभी नहीं मनाया गया, क्योंकि किसी बच्चे के बारे में हमें कुछ पता नहीं, बच्चों को उनके नाम भी अनाथालय ने दिए हैं ,और आप प्रथम का जन्म दिन यहाँ मनाना चाहते हैं। शायद दूसरे बच्चे इसे पसंद न करें। आप प्रथम का जन्म दिन अपने घर में मनायें। प्रथम की उम्र सात वर्ष है,तब यह उसका पहला जन्म दिन कैसे हुआ!'

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    'तब जीवन दास ने क्या कहा।'-अजय ने पूछा।

     'उन्होंने कहा-'मैं अकेले प्रथम का नहीं, यहाँ रहने वाले सभी बच्चों का जन्म  दिन मनाना चाहता हूँ। मुझे पता है कि हर बच्चे  की उम्र दूसरे से अलग है।क्यों न हम सभी बच्चों का पहला जन्म दिन मनाएं। इससे सारे बच्चे खुश हो जाएंगे।'

  लता ने कहा-'मुझे उनकी बात पसंद आयी -कोई तो था जो अनाथ बच्चों के बारे में सोच रहा था। अपने पहले जन्म दिन की बात सुन कर सभी बच्चों को बहुत अच्छा लगा और कार्यक्रम बन गया।।'तेईस बच्चों का सामूहिक जन्म दिन बड़ी धूम धाम से मनाया गया'

  'कैसा था कार्यक्रम ?'-अजय के प्रश्न के  जवाब में लता ने उसे प्रोग्राम का वीडिओ दिखाया। सचमुच अद्भुत था कार्यक्रम।अनाथालय के बाहर मैदान में समारोह की धूम थी। सब बच्चों ने सिर पर रंगीन टोपियां और आँखों पर बड़े बड़े गॉगल्स लगा रखे थे। हर बच्चे की कमर पेटी पर उसका नाम और बड़े बड़े अक्षरों में 'प्रथम जन्मदिन' लिखा हुआ था। विशाल केक की सफेद क्रीम वाली ऊपरी  परत पर ब्राउन चॉकलेट से तेईस बच्चों के नाम लिखे हुए थे। अजय  उत्सुक भाव से इस अनोखे  जन्म दिन का विडिओ देख रहा था। लता मैडम ने हर बच्चे का नाम पुकारा और कहा-- 'आज तुम्हारा  पहला जन्म दिन है'इस पर सब तालियां बजाने लगे,यह क्रम 23 बार दोहराया गया।

   अजय   उत्सुक भाव से इस अनोखे  जन्म दिन का विडिओ देख रहा था। अंत में लता ने  प्रथम का नाम पुकारा । तालियों के शोर के बीच उसने केक काटा। बच्चे नाचने -गाने लगे। वे बहुत खुश थे। और क्यों न हो,उन बेघर  बच्चों ने अपना जन्म दिन पहली  बार मनाया था और वह भी इतनी धूम धाम से।

   'ऐसा जन्म दिन समारोह तो मैंने आज से पहले कभी नहीं देखा।अजय ने प्रसन्न मन से कहा|

  लता ने बताया-' इस बार भी एक जनवरी का दूसरा जन्म दिन मनाने का कर्यक्रम बन चुका था लेकिन अचानक प्रथम अस्वस्थ हो गया ।उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। प्रथम की फरमाइश पर जीवन दास  ने चार  नई साइकिलें  मंगवाई- एक प्रथम के लिए और तीन ज्योति में रहने वाले उसके साथियों के लिए ,   लेकिन प्रथम की बीमारी ने सब कुछ उलट दिया। जांच से पता चला कि उसे कैंसर है। '

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    'फिर क्या हुआ?'

   'अमरीका से जीवन दास के कोई सम्बन्धी भारत आये हुए थे। वह इलाज के लिए प्रथम को अपने साथ ले गए। पता चला है कि इलाज लम्बा चलेगा। जीवन दास बहुत दुखी हैं, इसीलिए वह कहीं और रहने चले गए हैं।'लता ने कहा।

  अजय को पता चल गया कि गैलरी में गमलों के पीछे साइकिल लावारिस क्यों खड़ी है। वह सोच विचार में डूबा घर लौट आया। उसने जीवन दास से मिलने का निश्चय कर लिया। वह पत्नी के साथ अगली सुबह जीवन दास से मिलने चला गया। अजय ने अपना परिचय दिया और फिर प्रथम का हाल पूछा। बस जीवन दास और उनकी पत्नी रोने लगे। उन्होंने कहा -'पता नहीं प्रथम कब स्वस्थ होकर लौटेगा अथवा…'और उनका स्वर रुंध गया। अजय ने उन्हें सांत्वना दी, उमा उनकी पत्नी  को ढाढस बंधाने लगी। अजय ने जीवन दास से कहा-'अंकल ,आप चिंता न करें। प्रथम जल्दी ही पूरी तरह स्वस्थ होकर लौटेगा।'  उसने अमरीका वाले रिश्तेदार रमापति  का मोबाइल नंबर ले लिया।बोला-'मैं आज ही रमापति और प्रथम से बात करूँगा।

  घर लौट कर उसने देर तक उमा के साथ विचार करने के बाद रमापति को अमरीका फोन मिलाया। परिचय के बाद प्रथम के स्वास्थ्य पर चर्चा हुई। रमापति ने कहा कि प्रथम पहले से ठीक है,पर पूरी तरह स्वस्थ होने में काफी समय लगेगा। अब ज्योति अनाथालय के बच्चों के बारे में बात हुई। अजय ने कहा कि प्रथम की बीमारी से उसके साथी बहुत निराश,उदास है ,उन्हें आशा थी कि सबका  दूसरा जन्म दिन भी पहले जन्म दिन की तरह धूम धाम से मनेगा, लेकिन प्रथम के बीमार होने से सब उलट पलट गया। इस बारे में देर तक सोच विचार करते रहे। फिर दोनों ने एक योजना बनाई।

  अगले दिन जीवन दास को रमापति का सन्देश और प्रथम का फोटो मिला, जिसमें वह साइकिल पर बैठा मुस्करा रहा था। रमापति ने कहा-'अंकल, हम यहाँ एक जनवरी को प्रथम का जन्म दिन मना  रहे हैं। मैंने कई दोस्तों को बुलाया है। प्रथम की इच्छा है कि उसके दोस्त भी अपना दूसरा जन्म दिन पहले की तरह उमंग से मनाएं। वह चाहता है कि आप उसके दोस्तों के जन्म दिन उत्सव में जरूर शामिल हों।

  प्रथम का मुस्कराता फोटो देख कर जीवन दास की चिंता दूर हो गई। तभी अनाथालय से लता का फोन आ गया। पता चला वहां भी प्रथम का फोटो और सन्देश आया है। जीवन दास ने कहा -'लता जी,इस बार हम प्रथम के दोस्तों का दूसरा जन्म दिन पिछली बार जैसी धूमधाम से मनाएंगे।आप तैयारी कीजिये।'

   एक जनवरी की सुबह-- प्रथम के साथियों का दूसरा जन्म दिन उमंग और उत्साह के साथ मनाया गया। जीवन दास अपनी पत्नी के साथ आये थे। अजय भी परिवार सहित मौजूद था। एक बोर्ड पर साइकिल पर बैठे मुस्कराते प्रथम का चित्र लगा हुआ था। बच्चे बहुत खुश थे|

  अजय और रमापति की योजना सफल हुई थी। क्या कोई जानता था कि अमरीका में अभी प्रथम का लम्बा इलाज चलने वाला था। अजय यह बात किसी को बताने वाला नहीं था। जीवन दास अब निराश नहीं थे,और प्रथम के साथियों का उत्साह तो देखते बनता था। (समाप्त )

   

    

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