Sunday 27 November 2022

ऐसा कैसा खरगोश-कहानी- -- मर्जेरी विलियम्स बियांको= रूपांतर =देवेंद्र कुमार

 

ऐसा कैसा खरगोश-कहानी- --

मर्जेरी विलियम्स बियांको= रूपांतर =देवेंद्र कुमार

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   कैसी विचित्र बात थी-- एक था खरगोश , लेकिन नहीं भी था। आप पूछेंगे – तो फिर वह क्या था? वह था तो खरगोश लेकिन असली नहीं,  वह था एक खिलौना खरगोश। अब यह और बात थी कि वह खुद को असली खरगोश मानता था—हरी घास पर भागते फुर्तीले जीवित खरगोशों की तरह।वह खिलौना खरगोश रहता था जिम के घर में। जिम पांच वर्ष का लड़का था। उसे खिलौने बहुत पसंद थे। वह खिलोनों के पीछे दीवाना था। कोई मेहमान आता तो जिम के लिए खिलौनों का उपहार जरूर लाता। धीरे- धीरे जिम के पास बहुत सारे खिलौने जमा हो गए। पहले खिलौने  अलमारी में रखे जाते थे लेकिन फिर उनके लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था करनी पड़ी। क्योंकि खिलौने हर जगह बिखरे नज़र आते थे।

 एक नौकर का यही काम था कि वह खिलौनों को उनकी सही जगह पर रख दे। खिलौने वाले कमरे का नाम रखा गया—जिम का खिलौना घर।जिम का ज्यादा समय अपने खिलौनों के बीच बीतता था। ऐसा कोई खिलौना नहीं था जो जिम के खिलौना घर में न हो।जब भी कोई जिम से पूछता कि उसका सबसे प्रिय खिलौना कौन सा है तो वह झट खरगोश की तरफ इशारा कर देता और उससे खेलने लगता। खरगोश मखमल का बना हुआ था और बहुत सुंदर दीखता था।  वैसे तो जिम के खिलौना घर में बहुत सारे खिलौने थे जो चाबी से चलते थे, उछलते- कूदते थे। तरह तरह के करतब दिखाते थे, पर सबसे प्रिय खिलौने का पद जिम ने मखमली खरगोश को ही दे रखा था। रात में भी जिम खरगोश को संग लेकर सोता था। वह उसे मखमली कहता था।  

      इससे खरगोश अपने को दूसरे खिलौनों से अलग और विशेष समझने लगा। वह अक्सर ही अन्य खिलौनों से दूर रहा करता था। सोचता था कहीं दूसरे खिलौनों के साथ खेलने से उसकी मखमली पोशाक गन्दी न हो जाए। भला खरगोश का यह गर्वीला व्यवहार दूसरे खिलौनों को कैसे अच्छा लग सकता था। वे सब अक्सर ही खरगोश के इस तरह उन सबसे दूर दूर रहने के बारे में चर्चा किया करते थे। कुछ खिलौनों ने खरगोश की शिकायत घोड़े से की, जो उन् में सबसे ज्यादा समझदार था। उसने साथी खिलौनों से कहा—“ मुझे भी उसका यह व्यवहार पसंद नहीं है। मैं उसे समझाने की कोशिश करूंगा।” 

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      एक दिन जब खरगोश अकेला बैठा था तो घोडा उसके पास गया, उसने कहा—‘ तुम्हारा अपने साथी खिलौनों से अलग थलग रहना ठीक नहीं है। आखिर तुम भी अन्य खिलौनों जैसे ही हो।’’  

     खरगोश ने कहा-‘’ तुम ठीक कह रहे हो, लेकिन सबको पता है कि जिम मुझे सबसे ज्यादा प्यार करता है। मैं रात में जिम के साथ सोता हूँ। ‘’

     घोडा बोला – हो सकता है कल जिम को तुमसे अच्छा खिलौना मिल जाए और वह उस खिलौने को ज्यादा प्यार करने लगे ,तब तुम्हारा क्या होगा?’

      ‘’ऐसा कभी नहीं होगा।’’—खरगोश ने कहा। लेकिन घोड़े की बात सुनकर वह मन ही मन कुछ परेशान जरूर हो गया था। घोड़े ने  एक डराने वाली बात और कह दी।’’ कहीं तुम अपने को सचमुच का जीवित खरगोश तो नहीं समझने लगे हो?तुम एक खिलौना खरगोश हो। क्या तुम जानते हो –जब खिलौने पुराने हो जाते हैं तो उन्हें फैंक दिया जाता है और उनकी जगह नए खिलौने आ जाते हैं।’’

       घोड़े के जाने के बाद खिलौना खरगोश सोच में डूब गया। वह सोच रहा था-‘ असली खरगोश कैसे होते हैं ?क्या मैं सचमुच का खरगोश नहीं हूँ।’’ लेकिन असली जीवित खरगोश को देखने का मौका कैसे मिले। फिर उसे जिम की बात याद आ गई  और उसकी चिंता कुछ कम हो गई। एक दिन की बात, जिम खरगोश को लेकर बाग़ में खेलने चला गया। उसने खरगोश को एक झाड़ी के पास रख दिया और अपने दोस्तों के साथ खेलने लगा। तभी जिम की माँ ने पुकारा और जिम घर में चला गया। हड़बड़ी में जिम खरगोश को बाग़ में ही भूल गया। शाम हो गई। ठंडी हवा बहने लगी, बाग़ में सन्नाटा छा गया। ओस गिरने लगी। खरगोश सोचने लगा—‘अब मेरा क्या होगा?क्या जिम को मेरी याद नहीं आएगी?’

      कुछ देर बाद एक नौकर बाग़ में किसी काम से आया तो उसे खिलौना खरगोश दिखाई दे गया। नौकर ने खिलौना जिम को दे दिया और बोला—‘ इसे संभाल कर रखो नहीं तो खो जाएगा। ‘

      जिम ने खरगोश को गोद में लिया और उसे प्यार करने लगा।उसने नौकर से कहा—‘ यह कोई बेजान खिलौना नहीं जीता जागता खरगोश है। यह सदा मेरे साथ रहने वाला है।’’ जिम की यही बात खरगोश का मन ख़ुश कर देती थी। और वह खुद को असली और जीवित समझने लगता था। लेकिन घोड़े ने उसके मन में संदेह पैदा कर दिया था। और खिलौना खरगोश इसीलिए असली खरगोश को देखना और उससे मिलना चाहता था।            

      और फिर एक दिन मखमली खरगोश का सामना जीवित खरगोशों से हो ही गया। जिम मखमली को बाग़ में ले गया। उसने मखमली को झाड़ी के पास रख दिया और अपने दोस्तों के साथ खेल मैं मस्त हो गया। जिम और उसके साथी खेलते हुए बाग़ के दूसरे कोने में चले गए । मखमली चाहता था कि वह भी जिम के साथ रहे। लेकिन खिलौना खरगोश की यह इच्छा पूरी नहीं हो सकती थी। तभी दो खरगोश दौड़ते हुए वहां आ गए। वे दोनों मखमली को और मखमली उन्हें एकटक घूरते रहे। मखमली सोच रहा था—‘ जरूर ये चाबी से चलते होंगे।’ उधर दोनों खरगोश आपस में बातें कर रहे थे। एक ने दूसरे से कहा—‘ यह हमारी तरह नहीं बस एक खिलौना है। देखो तो किस तरह चुप चुप बैठा है। वह हमारी तरह उछल कूद नहीं कर रहा है। ‘

      एक खरगोश ने मखमली से पूछा —‘ तुम इस तरह क्यों बैठे हो?हम तो कभी चुप नहीं बैठते। आओ हमारे साथ खेलो।’’

      मखमली परेशान हो गया। वह समझ न सका कि क्या कहे ,पर कुछ तो कहना ही था। उसने कहा—‘ मैं अभी तक खेल ही रहा था। अब मैं थक गया हूँ। ‘’       

       तभी दूसरे खरगोश ने अपने साथी खरगोश से कहा—‘’ अरे,देखो इस के तो पिछले पैर ही नहीं हैं, यह तो खिलौना खरगोश है। मेरी-- तुम्हारी तरह जीवित खरगोश नहीं।’’

        मखमली जानता था उसके केवल अगले दो पैर ही हैं। उसका पिछला हिस्सा चपटा था। बोला- ‘’तो क्या हुआ ,क्या दो पैरों वाले खरगोश असली नहीं होते! होते हैं ,जरूर होते हैं।’’ मखमली ने कह तो दिया लेकिन वह समझ गया कि शायद वह असली खरगोश नहीं एक खिलौना खरगोश है। इस सच्चाई ने उसे अंदर तक हिला दिया। अब उसे महसूस होने लगा था कि वह असली नहीं खिलौना खरगोश है।

         समय बीत रहा था। जिम अब भी मखमली को हमेशा अपने साथ ही रखता था। रात को भी जिम मखमली को अपने साथ लेकर सोता था। लेकिन समय के साथ मखमली पुराना पड़ने  लगा था। उसकी मखमली कवरिंग के रोयें झड़ने लगे थे। अब वह भद्दा दिखने लगा था।जिम के लिए नए खिलौने आ गये थे। मखमली का यह हाल देख कर दूसरे खिलौने खुश थे। वे आपस में कहते थे –‘ अब आएगा मजा।’’ और सच जिम ने मखमली को अपने साथ सुलाना बंद कर दिया था। मखमली ने घोड़े से पूछा तो उसने कहा—‘ मनुष्यों की तरह खिलौने भी बूढ़े या पुराने हो जाते हैं। उनकी जगह नए खिलौने आ जाते हैं। ‘’

      ‘’ फिर पुराने खिलौनों के साथ क्या होता है?’’—मखमली ने डरे हुए स्वर में पूछा।

       ‘’ पुराने या टूटे खिलौनों को कहीं फेंक दिया जाता है। और उन्हें भुला दिया जाता है। ‘’ —घोड़े ने कहा। सुनकर मखमली गहरी उदासी में डूब गया।

        उन्हीं दिनों जिम बीमार हो गया। घर वाले घबरा गए। इलाज होने लगा, लेकिन जिम का ज्वर उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था। एक के बाद दूसरा डाक्टर बदला गया। जिम अब भी मखमली को अपने साथ रखना चाहता था। लेकिन् डाक्टर ने मना कर दिया। उसने कहा—‘खिलौनों को जिम से दूर रखना चाहिये क्योंकि इससे बीमारी बढ़ सकती है।’’  वैसा ही किया गया। इससे मखमली दुखी हो गया। वह सोचता था—‘जब जिम की बीमारी दूर हो जायेगी तो जिम उसे फिर से अपनी गोदी में भर लेगा। ‘ लेकिन अब ऐसा कभी नहीं होने वाला था।

        कुछ दिन बाद जिम का बुखार उतर गया। जिम की माँ उसे खिड़की के सामने कुर्सी पर बैठा देती । जिम खेलने के लिए बाग़ में जाना चाहता था। लेकिन अभी उसका रोग पूरी तरह ठीक  नहीं हुआ था। और फिर डाक्टर ने उसे कुछ समय के लिए सागर तट वाले किसी नगर में ले जाने की सलाह दी। यात्रा की तैयारी होने लगी।पूरे घर में भाग दौड़ मची थी। मखमली खुश था कि उसे भी जिम के साथ समुद्र देखने का अवसर मिलेगा। मखमली ने इससे पहले समुद्र नहीं देखा था। लेकिन जिम के पुराने खिलौने उससे दूर कर दिए गए। क्योकि डाक्टर ने कहा कि पुराने खिलौनों में रोगाणु हो सकते हैं इसलिए जिम के लिए नए खिलौने लाने होंगे।

      डाक्टर की बात सुनकर मखमली घबरा गया। उसने देखा कि एक नौकर खिलौनों को बोरी में डाल रहा था।मखमली ने चाहा कि वह कहीं छिप जाए ताकि बोरी में बंद होने से बच सके। लेकिन वह कोई जीवित खरगोश तो था नहीं कि भाग कर कहीं छिप जाता। वह था एक खिलौना खरगोश। वह भला कहाँ जा सकता था? मखमली ने जिम की ओर देखा। वह आँखें बंद किये बिस्तर पर लेटा  था। जिम मखमली की कोई मदद नहीं कर सकता था। जिम के सारे खिलौने कई बोरियों में बंद कर दिए गए। फिर घर का नौकर उन्हें बाग़ में काम करते हुए माली के पास ले गया। उससे कहा कि वह इन पुराने खिलौनों को जला दे। माली ने कहा कि हाथ का काम पूरा करके वह पुराने खिलौनों को जला देगा।   

         माली की बात मखमली ने सुनी और समझ गया की उसका अंत आ चुका है।अब कुछ  नहीं हो सकता था। उधर जिम के लिए नये, सुंदर खिलौने आ गये थे। वह खिलौनों से घिरा बैठा था। लेकिन उसका चेहरा उदास था, पता नहीं क्यों। नए खिलौनों में एक खरगोश भी था। लेकिन वह मखमली तो नहीं था। क्या जिम को पता था कि उसके प्यारे मखमली के साथ क्या होने जा रहा था।उसे भला कैसे पता हो सकता था।

         अपना काम पूरा करके माली अपनी कुटिया में चला गया। उसे पुराने खिलौनों को जलाने की बात याद ही नहीं रही। धीरे धीरे दिन ढल गया, ठंडी हवा बहने लगी। बाग़ में सन्नाटा छा  गया। तभी बाग़ के कोने मैं एक फूल चमक उठा।उसकी पंखुड़ियां फ़ैल गईं और फिर एक परी वहां  खड़ी  दिखाई दी। परी खिलौनों की बोरियों के पास आ खड़ी हुई। तुरंत खिलौने जैसे किसी जादू से बोरियों से बाहर आ गये। अब सारे खिलौने परी के  सामने एक पंक्ति में खड़े थे। तभी मखमली ने एक मीठी आवाज सुनी—परी ने कहा—‘’ मैं उन खिलौनों का ध्यान रखती हूँ जिन्हें पुराना होने पर फैंक दिया जाता है,उन्हें मैं अपना दोस्त बना लेती हूँ।’’

      ‘’फिर क्या होता है?’’ खिलौनों ने एक साथ पूछा।

   जवाब मैं एक मीठी हंसी सुनाई दी। और मखमली खरगोश को लगा जैसे उसका बदन हिल रहा हो।एकाएक वह उछला और घास पर भागने लगा जीवित खरगोश की तरह।  

     कुछ देर बाद माली को भूला काम याद आया –अरे उसे तो पुराने खिलौनों को जलाना था। वह बाग़ में आया पर खिलौनों की बोरियां गायब थीं। माली ने बहुत खोजा पर पुराने खिलौने कहीं न मिले।क्योकि अब वे खिलौने नहीं रहे थे । अच्छी परी ने अपने जादू से उन्हें जीवन दान दे दिया था।                                                                                                                                                       ( समाप्त )  

 

 

 

लेखक परिचय =

 

मर्जेरी विलियम्स बियांको—जन्म—22 जुलाई 1881 लन्दन में

                       निधन—4 सितम्बर 1944 न्यूयार्क में

बच्चों की प्रसिद्ध लेखिका। पिता बैरिस्टर थे। बचपन में खिलौनों से खेलते समय उनकी कहानियाँ बनाया करती थीं।जब नौ वर्ष की थीं तो परिवार न्यूयार्क आकर बस गया।मर्जेरी को कहानियाँ लिखने का शौक था।लन्दन के एक प्रकाशक के लिए कहानियाँ लिखीं।  1902 में बड़ों का उपन्यास छपा पर बाद में बाल साहित्य लेखन की ओर मुड़ गईं । विवाह के बाद इटली में रहने लगीं। पच्चीस संकलन और बाल साहित्य की अनेक पुस्तकें प्रकाशित। ‘the velveteen  rabbit इनकी सबसे मशहूर कृति है।

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