चिड़िया और गुब्बारा -कहानी-देवेंद्र कुमार
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अमित की मम्मी कपडे धोने के लिए मशीन में डाल रही थीं। तभी
उन्होंने अमित को आवाज़ दी। उसके हाथ में एक कागज़ देते हुए कहा-‘इसे संभाल कर
अपने बाबा की दराज़ में रख दो।’ अमित ने देखा
-कागज़ पर दो शब्द लिखे हुए थे-उदास चिड़िया
और पिचका हुआ गुब्बारा। अमित के बाबा जयदेव
लेखक हैं। कहानियां लिखते हैं,विशेषकर बच्चो के
लिए।
अमित की मम्मी रचना को वह कागज़ जयदेव जी की जेब से मिला था।
रचना ने देखा है कि उसके ससुर अपनी जेब में एक कागज और पेन जरूर रखते हैं ,चाहे घर में रहें
या बाहर जाएँ। जयदेव जी ने रचना को बताया
था कि उन्हें जब किसी विचार या घटना में कहानी की सम्भावना नज़र आती है तो वह उसे
तुरंत नोट कर लेते हैं ताकि बाद में उस पर
कुछ लिख सकें।
अमित सोचने लगा -'उदास चिड़िया ' और पिचका हुआ गुब्बारा' इन शब्दों में भला बाबा को कौन सी कहानी दिखाई
दी होगी ? तभी उसके दोस्त विनय और गोपेश अंदर आ गए। रविवार
की छुट्टी वे तीनो साथ मनाते हैं, स्कूल की एक ही कक्षा में पढ़ते हैं तीनों। अमित ने कागज़
गोपेश और विनय को दिखाया ,और फिर वे मिलकर सोचने लगे कि भला बाबा को इन
शब्दों में कौन सी कहानियां दिखाई दी होंगी। गोपेश ने कहा-' क्यों न हम इन पर कहानी बना कर देखें ।’
तीनों मित्र इस खेल में जुट गए। अमित ने कहा-' भला चिड़िया क्यों उदास है?'
कुछ देर चुप्पी रही। फिर गोपेश ने कहा-' जानते हो पिछली रात जंगल
में तूफ़ान आया था। पता चला है कि कई पेड़ गिर गए अनेक घोंसले नष्ट हो गए। '
'उदास चिड़िया का नाम है खिलखिल।'विनय बोला -'खिलखिल उदास क्यों है इसका कारण है पिछली रात आया तूफ़ान। खिलखिल की बहन हँसमुख
उसी जंगल में रहती है। पता नहीं बहन का क्या
हाल है,यही सोच कर खिलखिल बहुत परेशान है। '
'तो खिलखिल वहां जाकर पता क्यों नहीं करती! 'गोपेश ने पूछा।
अमित ने कहा -'पता है बारिश में भीगने
से खिलखिल बीमार हो गई है। भला कैसे जाए!' इसीलिए खिलखिल
ने एक सहेली को भेजा है हँसमुख का हाल पता
करने के लिए। जब तक बहन का अच्छा समाचार नहीं मिल जाता तब तक उसकी उदासी दूर नहीं होगी।'
विनय ने बताया-' अभी अभी खबर मिली है कि
खिलखिल की सहेली ने हँसमुख की अच्छी खबर सुनाई है लौट कर। '
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'पूरी बात बताओ।'अमित ने पूछा
'हँसमुख और उसका परिवार सकुशल है। जंगल के दूसरे परिंदों ने हँसमुख को ही नहीं, अन्य पक्षियों को भी अपने घोंसलों में रहने की जगह दे दी
है। हँसमुख ने अपनी
बहन खिलखिल को सन्देश भेजा है कि वह सकुशल है और जल्दी ही उससे मिलने आयेगी।' विनय ने पूरी बात बताई।
तभी अमित के बाबा जयदेव कमरे में आ गए। उन्होंने कहा -'शाबाश बच्चो ,शायद मैं भी इतनी अच्छी कहानी न लिख पाता।'
अमित बोला - 'यह पिचके हुए गुब्बारे का क्या चक्कर है !'
बाबा बोले -'सुबह मैंने सड़क पर पड़ा गुब्बारा देखा ,जो पिचका हुआ था। मुझे
लगा जैसे गुब्बारा कह रहा हो-' क्या मुझे फिर से हवा भर कर कर फुलाया नहीं जा सकता। अगर ऐसा हो सके
तो कोई भी बच्चा मुझसे खेल सकेगा। '
और मैंने पिचके हुए
गुब्बारे को उठा लिया ' फिर बाबा ने जेब से निकल कर एक पिचका हुआ गुब्बारा दिखाया।
'बाबा,गुब्बारा एक है और हम तीन। फिर तो आपको तीन मित्रो के झगडे
की कहानी लिखनी होगी। ' गोपेश ने मुस्कराते हुए कहा।
'तुम तीनो की दोस्ती पक्की रहेगी। क्योंकि मैंने इसका उपाय ढूंढ लिया है।
सोसाइटी के बाहर मुझे गुब्बारे का ठेला दिखाई दिया है। आओ नीचे चलें । 'जयदेव भी मुस्करा रहे थे।
बाबा के साथ तीनों
नीचे चले आये। सच में ठेले के डंडे से बंधे अनेक रंगबिरंगे गुब्बारे हवा में लहरा रहे थे लेकिन गुब्बारे
वाला नहीं था।
तीनो दोस्त असमंजस में खड़े थे,तभी सोसाइटी का गार्ड रमन आ गया। उसने कहा-'बच्चो, ,जितने चाहो गुब्बारे ले सकते हो,गुब्बारे वाले यादव की तबियत ठीक नहीं है ,वह घर चला गया है। '
'ऐसे कैसे ले लें|’ -अमित ने कहा।
जयदेव ने कहा-'रमन, तुम हमें यादव के घर का पता बता दो। हम उससे मिलना चाहेंगे। '
'लेकिन गुब्बारे तो यहीं हैं ,जितने
चाहे ले लो। 'कहते हुए रमन ने यादव के घर का पता बता दिया।
उसका घर पास ही था।
यादव जयदेव और बच्चों को देख कर हड़बड़ा गया। । वह कुछ समझ न
पाया। बोला -'मैं रमन से कह आया था,आपने यहाँ आने की तकलीफ क्यों की। घर में तो
गुब्बारे हैं नहीं।'
2
जयदेव ने कहा-' यादव ,बच्चे तुम्हारे हाथ से ही गुब्बारे लेना चाहते हैं। यह तो बताओ कि तुम्हारी
तबीयत कैसी है। दवा ली या नहीं।'
'जी,अभी घर की ही दवा ली है। '-यादव ने कहा।
जयदेव बोले -'तुम ठहरे कामकाजी आदमी,तुम्हें जल्दी ठीक होना
चाहिए।'फिर जेब से कागज़ निकालकर उस पर कुछ लिखा और यादव को देकर
कहा –‘यह डाक्टर राय का पता है। शाम को चले जाना। मैं
उन्हें फोन भी कर दूंगा।'
वहां से लौटते हुए अमित ने कहा-'आप जेब में कागज़ इसलिए रखते हैं कि कहानी का आइडिया नोट कर सकें।'
'हाँ ,हो सकता है इसमें भी कोई कहानी मिल जाये। '=कह कर जयदेव हंस दिए।
अगले दिन यादव गुब्बारो के साथ सोसाइटी के बाहर मौजूद था। जयदेव को देखते ही बोला -'आपके डाक्टर साहब ने एक ही दिन में ठीक कर दिया।'
जयदेव ने जेब से गुब्बारा
निकाल कर कहा-'तुम हो बीमार गुब्बारों के डाक्टर, इसे ठीक कर दो।'
यादव ने पिचके हुए गुब्बारे को फुला कर, उसमें धागा बाँध कर जयदेव के हाथ में थमा दिया और हंस पड़ा।
जयदेव बोले-'एक बूढा आदमी भी गुब्बारे से खेल सकता है। और
उन्होंने गुब्बारे को हवा में छोड़ दिया |
यादव के मुंह से
निकला -'अरे।'
जयदेव ने कहा-'मैं तो कहीं आता जाता नहीं। तुमने
मेरे बीमार गुब्बारे को स्वस्थ कर दिया इसीलिए वह दुनिया की सैर पर निकल गया है। ' जयदेव और यादव की हंसी आपस में घुलमिल
गई थी।अमित के बाबा की नई कथा यात्रा शुरू
हो गई थी। (समाप्त )
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