Friday 5 February 2021

टूटे हुए तार- कहानी-देवेंद्र कुमार

 

टूटे हुए तार- कहानी-देवेंद्र कुमार

  

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 रचना और अमल रोज सुबह सोसाइटी के  पार्क में सैर करने जाते हैं , उस दिन लौट कर  अपने फ़्लैट के दरवाजे की ओर  बढे तो रचना एकाएक ठिठक गई| अमल ने पूछा  तो बोली -' बगल वाले फ़्लैट में कोई किसी को 'हैप्पी बर्थ डे' कह रहा था ,उसे सुन कर मेरे कदम ठिठक गए और कुछ  याद आ गया|'  

 'क्या याद आ गया?'-अमल ने पूछ लिया|

 ' उमा का नाम, आज उसका जन्म दिन है|'

     'तो तुम्हें उमा के जन्म दिन की तारीख आज भी याद है ! कभी तुम दोनों पक्की सहेलियां हुआ करती थीं ,लेकिन अब…’

   'हाँ अब..’- रचना ने बस इतना कहा और घर में चली आयी।

    रचना के 'हाँ अब ' के पीछे बहुत कुछ छिपा हुआ था| उमा और रचना के बीच गहरी मित्रता थी ,जो बचपन से चली आ रही थी | विवाह के बाद ऐसा संयोग हुआ कि दोनों एक ही शहर में रहने आ गईं| दोस्ती का  रंग और भी गहरा हो गया| रचना का बेटा  अमित और उमा का पुत्र  रजत एक ही  स्कूल में पढ़ने लगे, अपनी मांओं की तरह उनमें भी मित्रता  हो गई | दोनों परिवार महीने में कई बार मिलते थे, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि  बच्चों के बीच एक मामूली झगडे ने दोस्ती का पुल तोड़ दिया| मिलना तो दूर उमा और  रचना के बीच एकदम अबोला हो गया, आखिर ऐसा क्या हो गया था ?

  हुआ यह कि एक दिन स्कूल में  अमित और रजत खेलते खेलते किसी बात पर लड़ने लगे,धक्का मुक्की में रजत गिर गया , उसके माथे से खून निकलने  लगा| चोट  मामूली थी पर उमा का मन कसक उठा। बच्चों के बाद अब सहेलियों में कहा सुनी हो  गई, रजत के माथे पर चोट का निशान रह गया। उमा अमित को दोषी समझती थी| रमा ने समझाया,अमित ने माफ़ी मांगी,पर उमा का मन शांत न हुआ| संबंधों में दरार पड़ गई,जो समय के साथ और भी चौड़ी होती गई|

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घर में जाकर रचना देर तक सोचती रही| उसे बीते दिन याद आ रहे थे,   जब दोनों परिवार एक दूसरे के जन्म दिन मिल कर उल्लास के साथ मनाया करते थ|  कितने अच्छे थे वे दिन! क्या वह समय वापिस आ सकता है,लेकिन कैसे? अमल भी यही सोच रहा था| रचना ने कहा-' मैं सोचती हूँ कि '

 'कि हमें टूटे तार फिर से जोड़ने चाहियें| ' -अमल ने जैसे रचना की बात पूरी कर दी|

 ' अब जो भी हो,मैं उमा को फोन करने जा रही हूँ |'-रचना उमा का नंबर डायल करने लगी,लेकिन फिर रुक गई|

     ' क्या हुआ,रुक क्यों गईं ?'-अमल बोला|

      'मैं सोचती हूँ कि अगर अमित फोन करे तो अच्छा होगा|’

   'यह तुमने ठीक कहा-'अमल रचना से सहमत था|

   अमित भी झट तैयार हो गया, उसने फोन पर उमा को जन्म दिन की बधाई दी, कहा-'आंटी,  क्षमा मांगता हूँ,अब तो हँस दीजिये|'  उधर से उमा की खिलखिल सुनाई दी। उमा ने कहा-' अपनी मम्मी को फोन दो|' पहले रचना और फिर अमल ने उमा को जन्म दिन की बधाई दी |

    उमा ने कहा-'आज  शाम को पार्टी है ,तुम सबको जरूर आना है|’

    रचना और अमल ने अमित को प्यार किया| टूटे  तार फिर जुड़ गए थे, यह ख़ुशी का दिन   था|

उस शाम उमा के जन्म दिन की शानदार पार्टी हुई, मेहमानों के जाने बाद रचना  और उमा बहुत देर तक बातें करती रहीं, सारे गिले शिकवे दूर हो गए| अब किसी को कोई शिकायत नहीं थी|

  अगली सुबह रचना ने अमल से कहा-'हमें अपने पडोसी से जरूर मिलना चाहिए,जिनके कारण मेरे और उमा के टूटे हुए सम्बन्ध फिर से जुड़ सके है|’

      'जरूर! वैसे भी अभी तक उनसे हमारा ठीक से परिचय  नहीं हुआ है,'-अमल ने कहा,और फिर दोनों पडोसी से मिलने पहुँच गए| पडोसी दम्पति थे-रामनाथ और उर्वशी, वे कुछ दिन पहले ही पड़ोस में रहने आये थे|

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     रचना ने कहा -'हम आपको धन्यवाद देने आये हैं, ' और फिर उन्हें पूरी घटना बता दी|

     सुन कर रामनाथ और उर्वशी हंसने लगे,उर्वशी ने कहा-'कल मेरी सहेली की बेटी दामिनी का जन्म दिन था| वह कुछ समय से बीमार है, शाम को हम दामिनी को बधाई देने गए थे|’

        रचना  ने कहा -'हम भी दामिनी  को उसके जन्म दिन की बधाई देना चाहते हैं| '

                 'लेकिन उसका जन्म दिन तो बीत गया|'

                 'तो क्या हुआ,बधाई और मिठाई का आनंद तो कभी भी लिया जा सकता है|’ अमल ने हँसते हुए कहा|'अगर दामिनी के लिए आपका बधाई सन्देश रचना ने न सुना होता, तो इन दोनों सहेलियों के टूटे सम्बन्ध कभी न जुड़ पाते | क्या आप हमें दामिनी के  पास ले चलेंगे। '

   और फिर उसी शाम रामनाथ और उर्वशी के साथ अमल,रचना और अमित दामिनी से मिलने गए| रामनाथ ने दामिनी के परिवार को अमल  और रचना के बारे में बता दिया था|अमित दामिनी के लिए गुड़िया का उपहार ले गया था, जैसे ही दामिनी ने गुड़िया को हाथ में लिया,गुड़िया ने मधुर स्वर में कहा -हैप्पी बर्थ डे|’ सुन कर दामिनी खूब खुश हुई| विदा होते समय रचना ने रामनाथ और उर्वशी से कहा-'आगामी रविवार को आप को सपरिवार हमारे घर आना है|’

   'कोई विशेष आयोजन है क्या?'-उर्वशी ने पूछा|

   'हाँ टूटे  हुए तार जुड़ने और नई मित्रता के आरम्भ का समारोह मनाएंगे हम सब|'अमल ने कहा तो कमरा खिलखिला उठा ==समाप्त ==

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