Wednesday 25 November 2020

बुरी लाइन-कहानी-देवेंद्र कुमार

 

                         बुरी लाइन-कहानी-देवेंद्र कुमार

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   शाम ढल चुकी थी। बाजार बंद होने लगा था। कई दुकानों में इक्के दुक्के ग्राहक नज़र आ रहे थे। लेकिन एक दुकान के बाहर खरीदारों की भीड़ थी। लम्बी लाइन लगी थी, लोग आगे बढ़ने के लिए धक्का मुक्की कर रहे थे। 'पापा,यहाँ इतनी भीड क्यों! देखिये न कितनी लम्बी लाइन लगी है।क्या सामान बिकता है यहां?'रजत ने पिता भुवन से पूछा।

   रजत अपने पिता के साथ मौसी के घर से लौट रहा था। दोनों रिक्शा में थे। रजत ने एक दुकान के बाहर भीड़ और लम्बी लाइन देख कर आश्चर्य से पूछा था।

  भुवन ने कहा -'यह एक बुरी लाइन है। अच्छे लोग इस लाइन में कभी खड़े नहीं होते। यहाँ शराब बिकती है। यहाँ न जाने कितने अविनाश और रंजीत जैसे लोग खड़े रहते हैं और उन पैसों से शराब खरीदते हैं जिन्हें घर परिवार और बच्चों पर खर्च होना चाहिए। इसी बुरी आदत के कारण ऐसे लोगों के घर वाले दुखी रहते हैं| '

      ‘'पापा ,कौन हैं ये अविनाश और रंजीत?'

     भुवन ने बेटे की बात का जवाब नहीं दिया। रिक्शा बाजार से गुजर कर घर के सामने रुक गई। अंदर जाकर भुवन  रजत के बाबा विशाल से बातें करने लगे।पर रजत उसी बुरी लाइन के बारे में सोचता रहा-'कैसे होते हैं शराब पीने वाले लोग ?' पिता के कहे नाम कानों में गूंजते रहे। कुछ देर बाद मौका पाकर उसने पिता से पूछा-'क्या आप अविनाश और रंजीत को जानते हैं?'

   भुवन उस समय कुछ लिख रहे थे। बोले-'मैं किसी को नहीं जानता।'और फिर लिखने में व्यस्त हो गए। भुवन ने जवाब दे दिया था पर रजत की तसल्ली नहीं  हुई।वह सोच रहा था-जब पापा अविनाश और रंजीत को नहीं जानते तो फिर उन्हें कैसे पता कि वे दोनों उस बुरी लाइन में खड़े थे!

   छुट्टियों के दिन थे,इसलिए रजत अपने बाबा विशाल के साथ सुबह बाग़ में घूमने चला जाता था। उस दिन वह बाग़ में दूसरे बच्चों के साथ खेल रहा था तो उसने सुना-कोई अविनाश का नाम पुकार रहा था। रजत ने उस व्यक्ति की ओर  देखा जिसे अविनाश कह कर पुकारा गया था।

     एक युवक कुछ बच्चों के बीच बैठा था। बच्चे खिलखिला रहे थे।' तो यह है अविनाश जिसके बारे में पापा ने बताया था'।और  रजत  उसके पास जाकर खड़ा हो गया।

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   'तुम्हारा  नाम अविनाश है?'

   'हाँ मैं ही अविनाश हूँ।'

   'तो तुम उस बुरी लाइन में खड़े होते हो।'

    'बुरी लाइन! यह  क्या कह रहे हो तुम।'यह कहते हुए अविनाश उठ कर रजत की ओर बढ़ा तो रजत भाग कर बाबा के पास चला आया ,वह कुछ डर गया था।

    अविनाश ने विशाल को नमस्कार किया। और पूछने लगा-'न जाने यह बच्चा किस बुरी लाइन की बात कर रहा है।'

   क्या बात है रजत ,बुरी लाइन का क्या मतलब है?'विशाल ने पूछा।

    'पापा कह रहे थे।और …' रजत इतना ही कह पाया।

    विशाल ने अविनाश से कहा-'माफ़ करना बेटा ,शायद इसे खुद ही पता नहीं कि यह क्या कह रहा है।

     अविनाश फिर से हँसते खिलखिलाते बच्चों के बीच चला गया। 'बाग़ से घर लौटते समय रजत ने बता दिया जो कुछ भुवन ने बुरी लाइन के बारे में कहा था।

     बाग़ से घर लौटने के बाद विशाल ने भुवन को बाग़ में हुई घटना के बारे में बताया और पूछने लगे-'यह बुरी लाइन का क्या चक्कर है और तुम अविनाश और रंजीत को कैसे जानते हो?'

  भुवन ने कहा-'पिता जी, एक दिन मैं बाजार से गुजर रहा था। वहां मैंने देखा कि पुलिस वाले दो युवकों को पकड़ कर ले जा रहे थे। वहां जमा लोग कह रहे थे कि ये दोनों अविनाश और रंजीत चोर हैं,ये लोगों को परेशान करते हैं। इन दोनों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।'

   'तो तुम अविनाश और रंजीत को नहीं जानते।'

   'जी नहीं। मैंने तो पहली बार उन दोनों को पुलिस के साथ देखा था। '-भुवन ने कहा।

   विशाल ने कहा-' क्या तुम जानते हो कि शराब की दुकान के बाहर लगी  लाइन की चर्चा करते हुए तुमने अविनाश और रंजीत के नाम लिए थे रजत के सामने। इस कारण रजत के कोमल मन ने अविनाश के नाम को ही बुरा मान लिया है। आज बाग़ में जो कुछ हुआ वह ठीक नहीं था। तुम्हें भविष्य में इस बात का ध्यान रखना होगा।

  भुवन को महसूस हुआ कि उनसे बड़ी भूल हो गई,उसे तुरंत सुधारना चाहिए।

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अगली सुबह भुवन पिता और रजत के साथ बाग़ में गए,पिछली सुबह की तरह अविनाश आज भी बच्चों के बीच बैठा था। वह बच्चा टोली को एक कहानी सुना रहा था। अविनाश पेशे से अध्यापक था और बच्चों के लिए कहानियां लिखता था। भुवन ने कुछ सोचा और बच्चा टोली के पास जाकर बैठ गए। कहानी पूरी हुई तो भुवन ने संकेत से बुलाया। अविनाश उठकर भुवन के पास आ  गया।

 भुवन ने कहा-'कल मेरे बेटे ने आपसे बहुत गलत व्यवहार किया , मैं उसके लिए क्षमा मांगता हूँ और फिर शराब की दूकान के बाहर लगी लाइन के बारे में बताया तो अविनाश हंस पड़ा। -'अब मैं पूरी बात समझ गया हूँ। 'बच्चों का कोमल मन हर अच्छी बुरी बात को झट ग्रहण कर लेता है । रजत ने यही समझ लिया है कि हर अविनाश और रंजीत बुरे होते हैं ,अन्यथा वह मुझसे इस तरह कभी बात न करता। खैर जो कुछ हुआ उसे भूल जाना चहिये।'

 अब भुवन को मौका मिला-'बोले-'अगर आप सचमुच उसकी बात को भूल चुके हैं तो कल दोपहर की चाय हमारे साथ पीजीए। और आपको सपरिवार आना है।'

   अविनाश ने तुरंत हामी भर दी। अगले दिन वह पत्नी  लता और बेटे तरल के साथ आ गया।उसने बच्चों की कहानियों की नई किताब रजत को दी। रजत और तरल में झट दोस्ती हो गई। विदा लेते समय अविनाश ने रजत से कहा-'अब तुम्हारी बारी है।मेरे पास बच्चों की किताबों की बड़ी लाइब्रेरी है,’

   रजत ने कहा-'अंकल ,हम सब जरूर आएंगे। इतनी ही देर में मैं और तरल दोस्त बन गए हैं। '

   एक बुरी घटना ने नई दोस्ती को जन्म दे दिया था। (समाप्त )

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